डेंगू मच्छर का हुआ अंत तो स्वास्थ्य विभाग करने लगा प्रबंध

अमृतसर खतरनाक डेंगू मच्छर अब ठंड की वजह से 'सिकुड़ने' लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 11:26 PM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 11:26 PM (IST)
डेंगू मच्छर का हुआ अंत तो स्वास्थ्य विभाग करने लगा प्रबंध
डेंगू मच्छर का हुआ अंत तो स्वास्थ्य विभाग करने लगा प्रबंध

नितिन धीमान, अमृतसर

खतरनाक डेंगू मच्छर अब ठंड की वजह से 'सिकुड़ने' लगा है। हर साल 15 नवंबर के बाद डेंगू मच्छर का दम फूल जाता है और वह इंसानों का खून चूसकर आठ महीनों के लिए गायब हो जाता है। डेंगू मच्छर ने इस सीजन में जिले में 200 से अधिक लोगों को डेंगू पॉजिटिव बनाकर अस्पतालों की बिस्तर तक पहुंचाया। वहीं स्वास्थ्य विभाग सिर्फ जागरुकता का ढोल पीटकर लोगों को डेंगू मच्छर से बचने की घुट्टी पिलाता रहा। अब जबकि डेंगू मच्छर का खात्मा लगभग हो चुका है, तो अमृतसर के सिविल अस्पताल में 'ब्लड कंपोनेट मशीन' इंस्टॉल नहीं की गई। इस मशीन के जरिए डेंगू पेशेंट्स के शरीर में प्लेट्लेट्स चढ़ाए जाते हैं। दुखद पहलू यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने मशीन तो भेज दी, पर इसे इंस्टॉल करने में देरी कर दी।

दरअसल, डेंगू फीवर से जूझ रहे लोगों को सिविल अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड में रखकर उपचार दिया जा रहा है। आइसोलेशन वार्ड में इन्हें दूसरे मरीजों से अलग रखा जाता है, ताकि साधारण सा मच्छर भी इन्हें काटकर डेंगू मच्छर न बन जाए और फिर दूसरे मरीजों को काटकर डेंगू पॉजिटिव न बना दे।

वास्तविक स्थिति यह है कि प्लेट्लेट्स निकालने वाली मशीन पिछले एक वर्ष से सिविल अस्पताल में धूल फांक रही है। जून-जुलाई महीने में डेंगू सीजन शुरू होने के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग ने इसे शुरू करवाने में रुचि नहीं दिखाई। सिविल अस्पताल के स्थानीय अधिकारी तो विभागीय अधिकारियों से बातचीत कर इसे इंस्टॉल करने की गुजारिश करते रहे, पर चंडीगढ़ से एक टीम इस मशीन व कक्ष का निरीक्षण करना चाहती थी। खैर, टीम आई लेकिन उसने इस बात पर आपत्ति जताई कि जिस कमरे में मशीन इंस्टॉल की जानी है वहां फ्लो¨रग ठीक नहीं। असल में सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक के नजदीक स्थित एक कक्ष में इस मशीन को इंस्टॉल किया जाना था। इस कक्ष की फ्लो¨रग जगह-जगह से टूट चुकी है। 22 साल पहले निर्मित सिविल अस्पताल के इस कक्ष में पुराने टाइप के चिप्स लगे थे। मशीन इंस्टॉल करने के लिए टाइल्स का समतल फर्श होना चाहिए। ऐसे में टीम ने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए कि वे कक्ष में टाइलें बिछाएं।

अब जबकि डेंगू सीजन खत्म होने जा रहा है तो अस्पताल प्रशासन फ्लो¨रग ठीक करने में जुटा है। फ्लो¨रग का काम कम से कम दस से पंद्रह दिन चलेगा। इसके बाद यह मशीन इंस्टॉल की जाएगी। सच तो यह है कि सांप निकलने के बाद लकीर पीटने की कहावत स्वास्थ्य विभाग ने स्वत: सिद्ध कर दी है। हालांकि अस्पताल में ¨सगल डोनर प्लेट्लेट्स मशीन स्थापित है, जिसके जरिए डेंगू मरीजों को प्लेट्लेट्स दिए जा रहे हैं, पर यदि ब्लड कंपोनेट मशीन इंस्टॉल हो जाती तो मरीजों को चौबीसों घंटे यह सुविधा उपलब्ध होती। रक्त से तीन प्रकार के सेल निकालने में सक्षम है मशीन

ब्लड कंपोनेट मशीन की खासियत यह है कि इसमें रक्तदान के ब्लड से व्हाइट ब्लड सेल डब्ल्यूपीसी, रेड ब्लड सेल आरबीसी व प्लेट्लेट्स सेल अलग किए जाते हैं। यानी एक ही मशीन से तीन तरह के सेल निकाले जा सकते हैं। जाहिर सी बात है कि इस बहुपयोगी मशीन के इंस्टॉल होने के बाद अगले सीजन में ही डेंगू पेशेंट्स को लाभ मिल पाएगा। जल्द मिल जाएगा लाइसेंस : डॉ. घई

सिविल सर्जन डॉ. हरदीप ¨सह घई ने कहा कि ब्लड कंपोनेट मशीन का लाइसेंस अप्लाई किया गया है। हमें जल्द ही लाइसेंस मिल जाएगा। अभी फ्लो¨रग का काम चल रहा है। कुछ ही दिनों में यह मशीन इंस्टॉल होगी। मशीन इंस्टॉल होने में देरी की वजह यही तकनीकी कारण रहे हैं, जिन्हें अब दूर कर लिया गया है।

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