उद्योगपतियों की अपील, गुरुनगरी को फिर से काटन इंडस्ट्री का हब बनाए सरकार
कोई समय था जब अमृतसर जिला काटन इंडस्ट्री का हब कहलाता था। यहां से तैयार काटन देश ही नहीं बल्कि विदेश को भी सप्लाई होता था। लेकिन धीरे-धीरे काटन इंडस्ट्री शहर से पलायन करने लगी और अन्य राज्यों में शिफ्ट हो गई।
जासं, अमृतसर : कोई समय था, जब अमृतसर जिला काटन इंडस्ट्री का हब कहलाता था। यहां से तैयार काटन देश ही नहीं बल्कि विदेश को भी सप्लाई होता था। लेकिन धीरे-धीरे काटन इंडस्ट्री शहर से पलायन करने लगी और अन्य राज्यों में शिफ्ट हो गई। मगर अब फिर से स्थानीय उद्योगपति काटन इंडस्ट्री को दोबारा से लगाने के लिए सहमति दे रहे हैं। उद्योगपतियों का कहना है कि अमृतसर में फिर से काटन इंडस्ट्री प्रफुल्लित होनी चाहिए। इसके लिए पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल की ओर से उद्योगपतियों के साथ मीटिग कर इस संबंधी फीडबैक भी लिए गए हैं। इसमें पाजिटिव रिस्पांस भी मिला है। उद्योगपति भी इस इंडस्ट्री में निवेश करने के लिए तैयार हो रहे हैं। पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ ने बताया कि करीब 30 साल पहले अमृतसर में लार्ज स्केल पर काटन इंडस्ट्री होती थी, जोकि अब मात्र चार-पांच यूनिट तक सीमित कर रह गई है। अगर यहां पर निट व काटन इंडस्ट्री को प्रोत्साहित किया जाए तो बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। इसके साथ ही कारोबार भी बढ़ जाएगा।
सेठ ने बताया कि जिस तरह से लुधियाना हौजरी में, जालंधर स्पोर्ट्स इंडस्ट्री के नाम से जाने जाते है, उसी तरह अमृतसर का नाम भी काटन, निट इंडस्ट्री के नाम से जाना जाएगा। इस संबंधी लगातार सरकार के संबंधित विभागों और फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन के नार्थ जोन के हेड गौरव गुप्ता ने बताया कि बेसिक स्टडी पर काम चल रही है और जल्द ही इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। इसके बाद प्रपोजल को सरकार के समक्ष रखा जाएगा।
महंगी बिजली और सब्सिडी न होने के कारण शिफ्ट हुई इंडस्ट्री
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के महासचिव समीर जैन ने बताया कि अमृतसर से काटन इंडस्ट्री शिफ्ट हो जाने कारण एक बड़ा कारण आतंकवाद रहा है। इसके बाद सरकार की ओर से लगातार अनदेखी की गई। दूसरे राज्यों के मुकाबले बिजली के रेट बहुत ज्यादा थे, दूसरे राज्यो के मुकाबले मिलने वाले इंसेटिव बहुत कम थे। इसी तरह बार्डर इलाका होने के कारण समय की केंद्र सरकारों ने फ्रेट टैक्स पर कोई सब्सिडी नहीं दी। यहां पर कोई भी टैक्स फ्री जोन नहीं बनाया गया। इंडस्ट्री लगाने व मशीने खरीदने के लिए सब्सिडी का कोई प्रावधान न रहने के कारण यहां से काटन इंडस्ट्री बंद हो गई।