गुरु नानक देव अस्पताल में डेंगू का खतरनाक ट्रीटमेंट

। एडीज एजिप्टी मच्छर द्वारा काटने से होने वाला डेंगू रोग को जानलेवा माना जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 12:30 AM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 06:06 AM (IST)
गुरु नानक देव अस्पताल में डेंगू का खतरनाक ट्रीटमेंट
गुरु नानक देव अस्पताल में डेंगू का खतरनाक ट्रीटमेंट

नितिन धीमान, अमृतसर

एडीज एजिप्टी मच्छर द्वारा काटने से होने वाला डेंगू रोग को जानलेवा माना जाता है। यह रोग इंसान के रक्त में प्लेट्लेट्स की संख्या कम कर देता है। कई शारीरिक समस्याएं उत्पन्न करता है, जिससे इंसान अस्पताल के बिस्तर तक पहुंच जाता है। डेंगू मरीज को पैरासिटामोल टेबलेट व ग्लूकोज इत्यादि दिया जाता है। इसके अलावा चिकित्सा जगत में इस रोग की अभी तक कोई दवा ईजाद नहीं हुई। दूसरी तरफ अमृतसर के गुरु नानक देव अस्पताल में जिस ढंग से डेंगू के संदिग्ध बुखार से पीड़ित मरीजों का उपचार हो रहा है, वह सवालों के घेरे हैं।

दरअसल, इस अस्पताल में संदिग्ध बुखार से पीड़ित मरीजों को एंटी बायोटिक इंजेक्शन दिया जा रहा है। मेडिसिन वार्ड नंबर एक स्थित डेंगू वार्ड में एडमिट जगतार सिंह नामक शख्स को डॉक्टर ने एंटी बायोटिक इंजेक्शन लगा दिया। सरकारी गाइडलाइन के अनुसार डेंगू मरीज को एंटी बायोटिक इंजेक्शन नहीं लगाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे मरीज के शरीर से प्लेट्लेट्स की संख्या अप्रत्याशित ढंग से कम होती चली जाती हैं। जगतार सिंह पिछले तीन दिनों से इस अस्पताल में उपचाराधीन है। उसे एंटी बायोटिक इंजेक्शन देने का एक वरिष्ठ डॉक्टर ने विरोध भी किया, पर जिस डॉक्टर ने एंटी बायोटिक दिया था उसने कहा कि अस्पताल में काफी इंफेक्शन होती है। इस इंफेक्शन से मरीज को बचाने के लिए उसे इंजेक्शन दिया गया है। हालांकि वरिष्ठ डॉक्टर ने इसे गलत ठहराया। इस पर दूसरे डॉक्टर ने कहा कि आप ही इसका इलाज कर लो।

दरअसल, एंटी बायोटिक इंजेक्शन का प्रयोग उस स्थिति में किया जाता है जब मरीज को इंफेक्शन हो। यदि डेंगू पेशेंट को इंफेक्शन हो तब भी यह इंजेक्शन नहीं दिया जा सकता। पहले डेंगू का इलाज किया जाता है, फिर प्लेट्लेट्स बढ़ने पर इफेक्शन दूर करने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। जगतार सिंह के शरीर में प्लेट्लेट्स की संख्या महज 27,000 है। यह संभावित है कि एंटी बायोटिक इंजेक्शन लगने से प्लेट्लेट्स और कम हो जाएं।

मेडिसिन विभाग के डॉ. अवतार सिंह धंजू ने तर्क दिया कि जगतार सिंह को चेस्ट इंफेक्शन थी, इसलिए उसे एंटी बायोटिक दिया गया। डॉ. धंजू का यह तर्क इसलिए उचित नहीं क्योंकि चेस्ट इंफेक्शन दूर करने से ज्यादा जरूरी मरीज के प्लेट्लेट्स बढ़ाना था। एंटी बायोटिक से गई थी दस मरीजों की जान 2015 गाजियाबाद की घटना है। गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में दस मरीजों की मौत हुई थी। स्वास्थ्य विभाग गाजियाबाद ने मौत के कारणों की पड़ताल में पाया था कि इन्हें एंटी बायोटिक इंजेक्शन दिया गया था, जिससे इन मरीजों के प्लेट्लेट्स कम हो गए और उनकी मौत हो गई। जरूरत नहीं थी एंटी बायोटिक देने की इंफेक्शन का स्तर जानने के लिए टीएलसी काउंट टेस्ट करवाया जाता है। सामान्यत: इंसान के शरीर में टीएलएसी काउंट 11 हजार से अधिक हो तो इसे इंफेक्शन कहा जाता है, मगर जगतार सिंह के टीएलसी काउंट 6400 थे। ऐसे में उसे एंटी बायोटिक देने की जरूरत नहीं थी। दुखद पहलू यह है कि डेंगू मरीजों का निशुल्क उपचार करने वाली सरकार का दावा गुरु नानक देव अस्पताल में ठुस हो रहा है। जगतार सिंह के सभी टेस्ट निजी लेबोरेट्री से करवाए गए। दवाएं, ग्लूकोज व महंगे एंटी बायोटिक इंजेक्शन भी निजी मेडिकल स्टोर से मंगवाए गए। अस्पताल से कोई सुविधा नहीं मिली जगतार सिंह के भाई बलकार सिंह फरियाद का कहना है कि हमें इस अस्पताल में भारी मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा है। डॉक्टर कोई सुनवाई नहीं करते। सभी दवाएं निजी मेडिकल स्टोर्स से मंगवाई जा रही हैं। इस सरकारी अस्पताल में हमें कोई सुविधा नहीं मिली। मामला गंभीर है, डॉक्टर से स्पष्टीकरण लूंगा: एमएस

गुरु नानक देव अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. जगदेव सिंह कुलार का कहना है कि एंटी बायोटिक देने का मामला गंभीर है। मैं डॉक्टर से इस संबंध में स्पष्टीकरण लूंगा।

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