मानव अधिकार आयोग के अधिकारी अपने कार्यालयों से बाहर भी निकलें: प्रो. चावला

पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि प्रदेश में विशेषकर और अपने देश में ऐसे बहुत से संस्थान हैं जो अपने कर्मचारियों को पूरे महीने में एक भी छुट्टी नहीं देते और इतनी निर्ममता है कि कर्मचारी बीमार भी हो जाए तो बीमारी के दिनों में मदद देने की बात तो दूर उसका वेतन काट लिया जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 04:23 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 04:23 PM (IST)
मानव अधिकार आयोग के अधिकारी अपने कार्यालयों से बाहर भी निकलें: प्रो. चावला
मानव अधिकार आयोग के अधिकारी अपने कार्यालयों से बाहर भी निकलें: प्रो. चावला

संवाद सहयोगी, अमृतसर : पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि प्रदेश में विशेषकर और अपने देश में ऐसे बहुत से संस्थान हैं जो अपने कर्मचारियों को पूरे महीने में एक भी छुट्टी नहीं देते और इतनी निर्ममता है कि कर्मचारी बीमार भी हो जाए तो बीमारी के दिनों में मदद देने की बात तो दूर उसका वेतन काट लिया जाता है। इन कर्मचारियों को कितना अपमान और प्रताड़ना अपने संस्थाओं के मुखी से सहनी पड़ती है। उसका अनुमान वही लगा सकते हैं जिन्हें यह सहना पड़ता है। प्रश्न यह है कि श्रम कानूनों में सात दिनों में एक अवकाश देना आवश्यक है और न्यूनतम वेतन की भी सरकार चर्चा करती है। जब इन कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन से भी बहुत कम वेतन दिया जाता है और सप्ताह तो दूर महीने में भी एक छुट्टी नहीं दी जाती तो यह लेबर विभाग कहां सोया हुआ है। ऐसे ही इन गरीब कर्मचारियों को मानव अधिकार तो क्या मिलेगा इन्हें तो मनुष्य समझा भी नहीं जा रहा।

प्रो. चावला ने कहा कि डांट, फटकार, अपमान इनकी किस्मत में लिखा गया है। क्या मानव अधिकार आयोग का यह काम नहीं कि वे अपने सचिवालयों के कमरे से बाहर उन संस्थाओं तक पहुंचें जो कर्मचारियों का खून निचोड़ती हैं, अपमान करती हैं। इनमें से बहुत सी संस्थाएं ऐसी हैं जो स्वयं को धर्म का ठेकेदार भी मानती हैं, पर इंसान का शोषण पूरी तरह करती हैं।

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