कोरोना ने बिगाड़ा बजट, सरसों का तेल 190 रुपये लीटर तक पहुंचा
कोरोना ने हर घर की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। महंगाई की मार से गरीब के साथ-साथ मध्यम वर्ग का हर परिवार परेशानी में जीवन व्यतीत कर रहा है।
संस, अमृतसर: कोरोना ने हर घर की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। महंगाई की मार से गरीब के साथ-साथ मध्यम वर्ग का हर परिवार परेशानी में जीवन व्यतीत कर रहा है। इस समय चाहे गैस सिलेंडर का दाम हो, दालों की कीमत हो, रिफाइंड हो, देसी घी इन सभी वस्तुओं की कीमतें बढ़ी हुई हैं। एक साल पहले 120 रुपये लीटर बिकने वाला सरसों का तेल अब 180 से 190 रुपये लीटर में बिक रहा है।
सरसों के तेल की जितनी मांग है उतनी सप्लाई नहीं हो रही है। दुकानदार का कहना है कि सरसों का तेल महंगा होने से आमदन पर भी फर्क पड़ा है। वहीं लोगों की परचेजिग पावर पर भी असर हुआ है। करियाना स्टोर के मालिक रोशन लाल ने बताया कि सरसों की तेल की कीमतें बढ़ने से दुकानदार भी अब कम खरीद रहे हैं। क्योंकि हर एक खाने पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ने से उनकी परचेजिग पावर में कमी आई है। सरसों का तेल पिछले एक साल से काफी महंगा हो गया है। सरसों का तेल बेचने वाले विनोद शर्मा ने बताया कि तेल की कीमतें काफी बढ़ गई है, जिससे दुकानदारों को भी परेशानी हो रही है। ग्राहक तो परेशान हैं ही, पहले जो लोग दो लीटर तेल लेते थे अब एक लीटर में गुजारा कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी कच्चा माल कम आ रहा: रमनदीप सिंह
सरसों के तेल के विक्रेता हिदुस्तान आयल ट्रेडर के मालिक रमनदीप सिंह ने बताया कि सरसों का तेल महंगा होना अंतरराष्ट्रीय बाजार का असर है। वहीं सरसों तेल भी सट्टेबाजी के हाथों चला गया है। जमाखोरी तेल का मुख्य कारण है। अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी अब कच्चा माल कम आने लगा है जोकि कीमतों के लिए बढ़ोतरी का कारण बन रहा है। यदि हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले दिनों में सरसों के तेल की कीमत और बढ़ेगी। नई फसल भी जमाखोरों के हाथों चली जाती है जिस कारण भी कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।