कमजोर हुआ कोरोना, अब डेंगू से फाइट शुरू

कोरोना के कमजोर पड़ते ही डेंगू मच्छर शक्ति दिखाने लगा है। जिले में 89 डेंगू पाजिटिव मरीज रिपोर्ट हो चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 10:57 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 10:57 PM (IST)
कमजोर हुआ कोरोना, अब डेंगू से फाइट शुरू
कमजोर हुआ कोरोना, अब डेंगू से फाइट शुरू

नितिन धीमान, अमृतसर

कोरोना के कमजोर पड़ते ही डेंगू मच्छर शक्ति दिखाने लगा है। जिले में 89 डेंगू पाजिटिव मरीज रिपोर्ट हो चुके हैं। ऐसे में विभाग भी कोरोना से ध्यान घटाकर अन्य बीमारियों विशेषत: डेंगू की रोकथाम के लिए प्रभावी योजनाएं तैयार करने में जुट गया है। इस संबंध में डिप्टी कमिश्नर गुरप्रीत सिंह खैहरा ने भी हाल ही में सभी विभागों के अधिकारियों की डेंगू टास्क फोर्स की संयुक्त मीटिग भी ली थी। जिले में कोरोना पर लगी हल्की ब्रेक के बाद डेंगू मच्छर से लड़ना विभाग के लिए बेहद चुनौतिपूर्ण हो चुका है। हालांकि अभी कोरोना भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है और डेंगू मच्छर तेजी से इंसानों को चुभन दे रहा है। ऐसे में कोरोना और डेंगू दोनों से फाइट लड़नी होगी।

दरअसल, कोरोना काल में डेंगू मच्छर ने 89 लोगों को डेंगू पाजिटिव बनाया है। पाजिटिवों में जिले के सहायक सिविल सर्जन डा. अमरजीत सिंह भी शामिल हैं। वहीं कोरोना वायरस ने तो पिछले अक्टूबर में जमकर कोहराम मचाया। स्वास्थ्य विभाग के कई वरिष्ठ डाक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ को यह वायरस निगल गया। इनमें सिविल अस्पताल के एसएमओ डा. अरुण शर्मा, फार्मासिस्ट नवदीप शर्मा, निजी डा. रविकांत, डा. मोखा के नाम उल्लेखनीय है। एंटी लारवा टीमें शहर में कर रहीं दवा का छिड़काव

दूसरी तरफ डेंगू के डंक को रोकने के लिए नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग डट चुका है। स्वास्थ्य विभाग की एंटी लारवा टीमें शहर भर में मच्छर मार दवा का छिड़काव करने में जुटी हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष डेंगू पाजिटिव कम रिपोर्ट हुए हैं। इसका प्रमुख कारण डेंगू टेस्टिग देरी से शुरू होना है। पिछले वर्ष 1100 से अधिक लोगों को डेंगू मच्छर ने पाजिटिव बनाया, जबकि तीन लोगों की जान चली गई थी। छप्पड़ों में छोड़ी जाएंगी गंबुजियां मछलियां

डेंगू मच्छर को मौत के घाट उतारने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंबुजिया मछलियों को भी छप्पड़ों तक पहुंचाने की कवायद शुरू करने जा रहा है। ये मछलियां वेरका स्थित हैचरी में हैं और लगातार प्रजजन के बाद इनकी संख्या हजारों तक पहुंच गई है। मछलियों को गांवों के छप्पड़ों में हर साल छोड़ा जाता है, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से यह काम भी समयबद्ध नहीं हुआ।

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