अब कार्यालय में ही बिजली उपभोक्ताओं को समय दे पाएंगे जेई
कई बार दफ्तर में जेई के नहीं होने से काम करवाने आए उपभोक्ताओं को उनके हस्ताक्षर के लिए इंतजार करना पड़ता था। मगर अब विभाग ने लोगों की सुविधा के लिए कुछ बदलाव किया है।
हरदीप रंधावा, अमृतसर
पावरकाम से बिजली का नया कनेक्शन लेने, लोड बढ़ाने, विभागीय रिकार्ड में नाम की तबदीली करवाने, खराब बिजली के मीटर को बदलवाने, डिपाजिट के बाद लाइन शिफ्टिंग के साथ-साथ बिजली के बिल में माफी की फाइल पर जूनियर इंजीनियर (जेई) के हस्ताक्षर करवाना उपभोक्ता को जरूरी होता है। इसके लिए जेई का होना भी जरूरी है। ऐसे में कई बार दफ्तर में जेई के नहीं होने से काम करवाने आए उपभोक्ताओं को उनके हस्ताक्षर के लिए इंतजार करना पड़ता था। मगर अब विभाग ने लोगों की सुविधा के लिए कुछ बदलाव किया है।
दरअसल, सिटी व सब अर्बन सर्किल के जेई को नए व खराब हुए बिजली के मीटर लेने के लिए विभाग की बटाला रोड स्थित मीटर इक्वीपमेंट (एमई) लैब में जाना पड़ता है। इसके चलते विभागीय उपभोक्ताओं को परेशानी होती है, क्योंकि जेई उनकी फाइल पर हस्ताक्षर करने के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं। इससे लोगों को परेशानी होती है। विभागीय जेई के साथ-साथ उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए बार्डर जोन के चीफ इंजीनियर ने सिटी व सब अर्बन सर्किल की ईस्ट डिवीजन में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला लिया है, जिसमें जेई को एमई लैब से मीटर लेकर आने के लिए दोगुना मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और उपभोक्ताओं को भी दफ्तर में जेई से मिलने के लिए कोई दिक्कत नहीं होगी। वे ड्यूटी के समय दफ्तर में ही समय दे पाएंगे। जटिल प्रक्रिया के झमेले से मिलेगी निजात
बार्डर जोन के चीफ इंजीनियर प्रदीप कुमार सैनी ने बताया कि उपभोक्ताओं के मीटर लगाने से पहले जेई को एमई लैब से मीटर इश्यू करवाने पड़ते हैं, जिसके लिए उन्हें मीटरों की डिमांड लेकर जाना पड़ता है, जोकि वह अपने कार्यालय में बैठकर बनाते हैं। कार्यालय से लेकर एमई लैब तक जाने और आने में जेई का काफी समय बर्बाद होता है, क्योंकि पहले जेई अपने कार्यालय में बैठकर मीटर इश्यू करवाने के लिए कापी पर डिमांड बनाते हैं और बाद में एमई लैब में जाकर मीटर इश्यू करवाते हैं। अपने कार्यालय में समय को बचाते हुए वहां पहुंचने के बाद मीटरों की बरामदमी खुद ही नोट कर दोबारा अपने कार्यालय में आकर डिमांड के साथ मिलान करना पड़ता है। अब ईमेल की सुविधा से यह दिक्कतें दूर होंगी। विभागीय कार्यप्रणाली में भी होगा सुधार
पायलट प्रोजेक्ट के तहत अब सिटी व सब अर्बन सर्किल की ईस्ट डिवीजन के जेई अपने कार्यालय से ईमेल के जरिए अपनी डिमांड एमई लैब को भेजेंगे। इसके बाद उन्हें मीटर तुरंत मिल जाएंगे। इसमें उनके साथ-साथ विभागीय उपभोक्ताओं को होने वाली दिक्कत कम होगी और विभागीय कार्यप्रणाली में सुधार भी होगा। चीफ इंजीनियर प्रदीप कुमार सैणी द्वारा एमई लैब का दौरा करने के बाद यह निर्णय लिया गया था।