कांग्रेसियों का ये कैसा मौन : फोन पर बात, आपस में गपशप, सिद्धू आए नहीं, वर्कर उठ चले गए

लखीमपुर खीरी में हुए घटनाक्रम के विरोध में आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर केंद्र सरकार के विभागों के बाहर मौन व्रतह्रंखा गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 11:58 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 06:13 AM (IST)
कांग्रेसियों का ये कैसा मौन : फोन पर बात, आपस में गपशप, सिद्धू आए नहीं, वर्कर उठ चले गए
कांग्रेसियों का ये कैसा मौन : फोन पर बात, आपस में गपशप, सिद्धू आए नहीं, वर्कर उठ चले गए

विपिन कुमार राणा, अमृतसर: लखीमपुर खीरी में हुए घटनाक्रम के विरोध में आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर केंद्र सरकार के विभागों के बाहर मौन व्रतह्रंखा गया। जिला कांग्रेस कमेटी के तत्वाधान में शहर में जिला प्रधान जतिदर सोनिया के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन पर कांग्रेसियों ने मौन व्रत रखा। मगर उनका यह मौन व्रत दिखावा ही रहा। कांग्रेसी या तो फोन पर व्यस्त रहे या फिर काली पट्टी मुंह पर बाधकर आपस में गपशप करते रहे। खास बात यह रही कि धरने में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने आना था, पर जम्मू में मौसम खराब होने की वजह से उनका चापर उड़ा नहीं। इस कारण वह धरनास्थल पर नहीं पहुंच सके।

सिद्धू के आफिस से भेजे गए संदेश में एक बजे रेलवे स्टेशन के धरने की सूचना थी। ऐसे में स्वाभाविक था कि सिद्धू इसमें जरूर पहुंचेंगे। पीपीसीस प्रधान सिद्धू के समक्ष हाजिर लग सके, इसलिए साढ़े बारह बजे से ही कांग्रेस नेता पंडाल में पहुंचना शुरू हो गए। मुंह पर काली पट्टियां तो नेताओं ने बांध ली, पर सिद्धू के इंतजार में आपसी गुफ्तगू बंद नहीं हुई। इसी बीच नेताओं को फोन भी आते रहे और वह इसे सुनते भी दिखे। जब-जब पत्रकारों ने बात करने का प्रयास किया तो वह मौन व्रत का बहाना बनाकर टालते रहे। सिद्धू के इंतजार का आलम यह रहा कि एक घंटे तक तो जैसे-तैसे पंडाल में बैठे वर्करों में सब्र बना रहा। पर जब सिद्धू दो बजे तक भी नहीं पहुंचे तो पंडाल में पीछे बैठे वर्कर खिसकने शुरू हो गए। फ्रंट लाइन पर बैठे नेता तो लगातार एक-डेढ़ घंटे से बैठे हुए थे, वह भी उठ गए। तबीयत ढीली होने की वजह से विधायक सुनील दत्ती भी उठ गए और स्टेशन के दाई तरफ बना पंडाल खाली हो गया। बाई तरफ बने हुए पंडाल में भी तीन से चार पंक्तियों तक ही लीडर बैठे दिखे। देर से आए बुलारिया और मेयर रिटू

एक बजे शुरू हुआ मौन व्रत का सिलसिला तीन बजे खत्म हुआ। धरने में 20 मिनट पहले विधायक इंद्रबीर सिंह बुलारिया और 15 मिनट पहले मेयर करमजीत सिंह रिटू पहुंचे। खास बात यह रही कि सिद्धू के आफिस के लोग ढाई बजे ही वहां से निकल गए। एक बजे से ही धरने पर पीपीसीसी कार्यकारी प्रधान सुखविदर सिंह डैनी, पीपीसीसी के महासचिव योगिदर पाल ढींगरा, विधायक सुनील दत्ती, जिला प्रधान जतिदर सोनिया, ब्राह्मण बोर्ड के वाइस चेयरमैन कृष्ण कुमार कक्कू, योजना बोर्ड के चेयरमैन राजकंवल प्रीत सिंह लक्की, नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन दमनदीप सिंह, सीनियर डिप्टी मेयर रमन बख्शी, डिप्टी मेयर युनस कुमार, जुगल किशोर शर्मा, पार्षद समीर दत्ता सोनू, शैलिदर शैली, नवदीप हुंदल, प्रमोद बबला, महिला कांग्रेस की प्रधान शिवानी शर्मा मोर्चा संभाले रखा। धरने में पार्षद विकास सोनी, जतिदर सिंह मोती भाटिया, अश्वनी पप्पू, महेश खन्ना, संदीप रिका, प्रदीप शर्मा, सतीश बल्लू, डिपी चौहान आदि हाजिर रहे। गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त करे सरकार : डैनी

पीपीसीसी के कार्यकारी प्रधान सुखविदर सिंह डैनी ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार धक्केशाही पर उतरी हुई है। लखीमपुर में मारे गए किसानों को अभी तक इंसाफ नहीं मिला है। केंद्रीय गृहमंत्री अजय मिश्रा का जब तक इस्तीफा नहीं हो जाता, तब तक कांग्रेस देशभर में धरना प्रदर्शन जारी रखेगी। सिद्धू माता वैष्णों देवी पर सरबत के भले की प्रार्थना करने गए हुए है। वहां मौसम खराब होने की वजह से चौपर उड़ नहीं सका, इसलिए वह धरने में आ नहीं सके। मारे गए किसानों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की : बुलारिया

विधायक इंद्रबीर सिंह बुलारिया ने कहा कि सिद्धू धरने पर नहीं पहुंच सके, इसमें कोई बात नहीं है। हम उनके व केंद्रीय हाईकमान के आदेश पर ही यहां बैठे हैं और अपनी संवेदनाएं मारे गए किसानों के प्रति व्यक्त कर रहे हैं। सुखबीर द्वारा मृतकों पर सियासत करने के आरोप पर उन्होंने कहा, कोई चज्ज दा बंदा कुज कवे तां समझ आवे, मूरख बंदे दा मैं कोई जवाब नई देवांगा। साढ़े चार साल में हलके में विकास न होने पर उन्होंने कहा कि हलके में साढ़े चार सौ करोड़ के विकास कार्य करवाए गए हैं। अभी तक इंसाफ नहीं मिला : दत्ती

विधायक सुनील दत्ती ने कहा कि केंद्र व यूपी सरकार मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की बात कर रही है। जब तक केंद्रीय मंत्री बर्खास्त नहीं होता और दोषियों को कठोर से कठोर दंड नहीं मिलता, तब तक यइ इंसाफ अधूरा है। केंद्र व यूपी में तानाशाही की सरकार चल रही है, जो किसान आंदोलन को दबाने के लिए हर हथकंडा अपना रही है।

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