जीएनडीएच में कैथ लैब शुरू, एक ही दिन में पांच मरीजों का दिल का आपरेशन
गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में तीन वर्ष से बंद कैथ लैब फिर से शुरू हो गई है।
जासं, अमृतसर: गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में तीन वर्ष से बंद कैथ लैब फिर से शुरू हो गई है। बुधवार को यहां एक दिन में दिल के पांच मरीजों के आपरेशन किए गए। वहीं वीरवार को इन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। पंजाब के इस प्रमुख चिकित्सा संस्थान में कैथ लैब शुरू होने से मरीजों ने राहत की सांस ली है। इन पांच मरीजों में से तीन का हार्ट सर्जरी आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना के तहत हुई, जबकि दो मरीजों को महज 50 हजार रुपये खर्च करने पड़े। वहीं अगर वे निजी अस्पताल से आपरेट करवाते तो एक मरीज का खर्च दो से तीन लाख रुपये आता।
दरअसल, जीएनडीएच में वर्ष 2017 में कैथ लैब की स्थापना हुई थी। यहां हृदय रोग के उपचार के लिए अत्याधुनिक मशीनें स्थापित की गई। करीब एक करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस लैब में एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर प्रत्यारोपण, आरपीएफ प्रोसीजर, स्टंटिग, इंप्लांटेशन, कार्डियोग्राफी, टीएमटी व होल्टर जैसी जटिल प्रक्रियाएं संपन्न की जा सकती हैं। लैब बनने के बाद तब यहां तीन मरीजों के हार्ट की सर्जरी की गई। जिस निजी कंपनी ने चिकित्सा उपकरण लगाए थे, उसी ने डाक्टर व स्टाफ भी भेजा था। बाद में वे लौट गए। फिर पंजाब सरकार ने यहां स्टाफ नियुक्त करना था, पर नहीं हुआ। ऐसे में कैथ लैब पर ताला जड़ दिया गया।
दैनिक जागरण ने खबरें प्रकाशित कर उठाया था मुद्दा
दैनिक जागरण ने इस संबंध में कई बार सरकार और सेहत विभाग का ध्यान दिलाने के लिए समाचार प्रकाशित किए। यही वजह है कि इसी वर्ष सितंबर में सरकार ने मोगा से डीएम कार्डियोलाजिस्ट डा. परमिदर सिंह को कैथ लैब का जिम्मा सौंपा। डा. परमिदर ने सहयोगी टीम के सहयोग से तीन एंजियोप्लास्टी, एक ट्रिपल वेसल व एक एंजियोग्राफी की है। इसके साथ ही अब यह लैब कार्यान्वित हो गई है।
प्रदेश की तीसरी लैब, पड़ोसी जिलों को भी होगा लाभ
पीजीआइ और बाबा फरीद मेडिकल कालेज फरीदकोट के बाद जीएनडीएच में शुरू हुई यह प्रदेश की तीसरी लैब है। जीएनडीएच में कैथ लैब खुलने से अमृतसर के अलावा पठानकोट, गुरदासपुर, तरनतारन व आसपास के राज्यों के मरीजों को लाभ मिलेगा।
क्या है एंजियोप्लास्टी
एंजियोप्लास्टिक एक सर्जिकल प्रक्रिया है। इसमें हृदय की मांसपेशियों तक रक्त की आपूर्ति करने वाली नाड़ियों को खोला जाता है। चिकित्सा की भाषा में इन नाड़ियों को कोरोनरी आर्टरी कहते हैं। इनमें ब्लाकेज को खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी की जाती है।