रंजीत एवेन्यू थाने का एएसआइ जबरी रिटायर

रंजीत एवेन्यू थाने के एएसआइ जेपी सिंह उर्फ जतिदरपाल सिंह को शुक्रवार को जबरी रिटायर कर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 12:39 AM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 12:39 AM (IST)
रंजीत एवेन्यू थाने का एएसआइ जबरी रिटायर
रंजीत एवेन्यू थाने का एएसआइ जबरी रिटायर

जागरण संवाददाता, अमृतसर : जनता को इंसाफ देने में देरी करने के मामलों पर पुलिस कमिश्नर सुखचैन सिंह गिल ने रंजीत एवेन्यू थाने के एएसआइ जेपी सिंह उर्फ जतिदरपाल सिंह को शुक्रवार को जबरी रिटायर कर दिया। आरोप है कि जेपी सिंह पिछले तीन साल से थाना रंजीत एवेन्यू में 135 से ज्यादा पुलिस फाइलों को दबाए बैठा था। इससे कोर्ट में पेंडिग पड़े मामलों पर सुनवाई ही नहीं, सैकड़ों लोगों को इंसाफ से वंचित रहना पड़ रहा था।

बताया जा रहा है कि पुलिस कमिश्नर के अलावा डीसीपी, एडीसीपी और एसीपी रैंक के अधिकारियों को भी जेपी सिंह के खिलाफ कई शिकायतें मिल चुकी थीं। उसकी कार्यप्रणाली को लेकर कई अफसर पहले भी आगाह कर चुके हैं, लेकिन एएसआइ जेपी सिंह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था। बताया जा रहा है कि इसके पास कई जांच के मामले भी पेडिग पड़े हैं।

आगजनी के मामले की गलत रिपोर्ट बनाने का आरोप

जेपी सिंह अप्रैल 2019 में एक आगजनी के केस में गलत फाइल बनाने लगा था। समय रहते डीसीपी मुखविदर सिंह को इसकी भनक लग गई तो उन्होंने दोबारा सारे मामले के जांच के आदेश जारी किए थे। तब तत्कालीन थाना प्रभारी गुरविदर सिंह ने स्वयं जांच की और जेपी सिंह को आरोपित पाया था। उस मामले में पीड़ित पक्ष ने 181 नंबर शिकायत भी दर्ज करवाई थी, लेकिन रंजीत एवेन्यू थाने में शिकायत आने के बावजूद शिकायत पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की सकी। इसके कारण एएसआइ कानूनी कार्रवाई में फंसने से बच गया।

हर एफआइआर और जांच अधिकारी पर है नजर : सीपी

पुलिस कमिश्नर सुखचैन सिंह गिल ने बताया कि वह एक नए सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रत्येक थाने की एफआइआर और उसके जांच अधिकारी की कार्रवाई पर नजर रखे हुए हैं। केस के स्टेटस को वह किसी भी समय देख सकते हैं। गुरु नगरी की जनता के साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।

कई और थानों में दबी हुई हैं फाइलें

आने वाले दिनों में पुलिस कमिश्नर लापरवाही बरतने वाले कुछ और अफसरों को जबरी रिटायर कर सकते हैं। इनमें रामबाग थाना, कोतवाली, सी डिवीजन, बी डिवीजन, सिविल लाइन, कैंटोनमेंट, कोट खालसा, इस्लामाबाद और छेहरटा थाने के नाम शामिल हैं। पता चला है कि यहां भी पुलिस फाइलों को जांच अधिकारी दबाए बैठे हैं।

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