हर चालीस सेकेंड में एक इंसान कर लेता है आत्महत्या : डॉ. मक्कड़

अमृतसर विश्व भर में हर चालीस सेकेंड में एक इंसान आत्महत्या कर रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 07:02 PM (IST) Updated:Wed, 12 Sep 2018 07:02 PM (IST)
हर चालीस सेकेंड में एक इंसान कर लेता है आत्महत्या : डॉ. मक्कड़
हर चालीस सेकेंड में एक इंसान कर लेता है आत्महत्या : डॉ. मक्कड़

जागरण संवाददाता, अमृतसर

विश्व भर में हर चालीस सेकेंड में एक इंसान आत्महत्या कर रहा है। आत्महत्या का यह आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है। वर्तमान समय में तनाव, घबराहट, बेचैनी और ¨चता इंसान पर हावी हो रही है। इंसान मन में कई ऐसी बातें छुपाकर रखता है जो उसे अंदर ही अंदर घुटने पर मजबूर कर देती हैं। आज इंसान सच्चाई से मुंह छिपा रहा है और निराशा व असंतोष के बीच जी रहा है। तनाव से ही निराशा व असंतोष की शुरूआत होती है और यह इंसान को आत्महत्या तक पहुंचा देती है। यह खुलासा व‌र्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे पर रंजीत एवेन्यू में आयोजित सेमिनार में मनोचिकित्सक डॉ. हरजोत ¨सह मक्कड़ ने व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि भारत जैसे धार्मिक एवं आध्यात्मिक देश में भी एक तिहाई लोग भयंकर हताशा की स्थिति में जी रहे हैं। इनमें कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले युवा व कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र भी शामिल हैं। असल में आत्महत्या की मूल वजह ही इंसान की इच्छाओं की पूर्ति न होना है। इच्छा पूर्ति न होने पर इंसान पहले तनाव की आगोश में चला जाता है। फिर समाज से कट जाता है। तनाव मिटाने के लिए नशे का सहारा लेता है और फिर कई मामलों में अपने ही हाथों से अपनी ¨जदगी खत्म कर लेता है। उदाहरण के तौर पर एक किसान कभी यह सोच कर बीज नहीं बोता है कि उसकी फसल बर्बाद हो जाएगी। विद्यार्थी सोचता तो यही है वह उत्तीर्ण हो जाएगा। बीमार व्यक्ति को उम्मीद होती है कि उसका इलाज हो जाएगा! बेरोजगार व्यक्ति की आंखों में उम्मीद होती है कि उसे काम मिलेगा और वह अपने प्रियजनों को अच्छा जीवन दे पाएगा। उम्मीद रखना अच्छी बात है, लेकिन उम्मीद के पूरा न होने पर दुखी होना ठीक नहीं।

डॉ. मक्कड़ ने कहा कि सकारात्मक सोच के साथ इंसान काम करे तो उसे सफलता मिलती है और यदि सफलता न भी मिले तो सकारात्मक इंसान कभी हताश नहीं होता।

साइकोलॉजिस्ट डॉ. महक मलिक ने कहा कि हमें यह याद रखना होगा कि इंसान की ¨जदगी का कोई मोल नहीं। भारत में हर एक घंटे में कोई न कोई आत्महत्या कर लेता है। कभी परीक्षा में फेल होने की हताशा में आत्महत्या तो कभी बेरोजगारी की कुंठा से लोगों अपने हाथ से अपना गला घोंट रहे हैं। आत्महत्या का कारण चाहे जो भी हो, लेकिन आत्महत्या करने के लिए उकसाने में इंसान का मन मस्तिष्क ही काम करता है। आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं। यदि हम दृढ़ निश्चय और पॉजिटिव एनर्जी के साथ काम करें तो कोई ताकत हमें सफलता से रोक नहीं सकती। इस सेमीनार में जिले भर से आए लोगों को प्रेजेंटेशन के माध्यम से तनाव से दूर रहने के टिप्स दिए गए।

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