लोकसभा चुनाव : जोशी—छीना में फंसा पेंच, दावेदार शाह को दिखाएंगे दम

अमृतसर लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट लेने के लिए पार्टी नेताओं में पेच फंस गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 12:50 AM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 12:50 AM (IST)
लोकसभा चुनाव : जोशी—छीना में फंसा पेंच, दावेदार शाह को दिखाएंगे दम
लोकसभा चुनाव : जोशी—छीना में फंसा पेंच, दावेदार शाह को दिखाएंगे दम

विपिन कुमार राणा, अमृतसर

लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट लेने के लिए पार्टी नेताओं में पेच फंस गया है। 2017 का लोकसभा का उपचुनाव लड़े रा¨जदर मोहन ¨सह छीना जहां एक बार फिर से पार्टी टिकट चाहते हैं, वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी ने भी टिकट के लिए ताल ठोक दी है। 24 फरवरी को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की अमृतसर दौरे के दौरान दोनों नेता शक्ति प्रदर्शन के लिए तैयार हैं। दोनों ही नेता अपनी पूर्व की

परफार्मेंस और प्रोफाइल को लेकर टिकट के लिए जुटे हैं। हाईकमान जिताऊ उम्मीदवार चाहती है और दोनों का ही दावा है कि वह अमृतसर लोकसभा सीट पार्टी की झोली में डाल सकते है।

बताते चलें कि सेलीब्रेटी को चुनाव मैदान में उतारने का पार्टी का अनुभव

कुछ ठीक नहीं रहा है। इसलिए पार्टी वर्करों की भी मांग है कि सेलीब्रेटी

की जगह पार्टी वर्कर-नेता को ही लोकसभा का प्रत्याशी बनाया जाए। स्थानीय

नेता इस बाबत अपने मंसूबों से हाईकमान को भी अवगत करवा चुके है। 2004 में पूर्व क्रिकेटर नवजोत ¨सह सिद्धू जैसे सेलीब्रेटी को भाजपा ने

चुनाव मैदान में उतारा। सिद्धू ने 2004, 2007 उपचुनाव और 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करवाते हुए हैट्रिक भी दर्ज करवाई, पर उन्हें लेकर पार्टी में बने गुटबंदी के हालातों ने स्थित विकट कर दी। 14 सितंबर 2016 को सिद्धू भाजपा छोड़ गए। 2017 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से भाजपा बाहरी व वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेतली पर दाव खेला, पर वह भी नहीं चला। 2014 के लोकसभा चुनाव में जेतली 1,02,770 मतों से पराजय का सामना करना पड़ा। जनसंघी पर हैट्रिक में चूके जोशी

पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी का जिताऊ प्रोफाइल रहा है। विधानसभा

चुनाव 2007 में 14,095 और 2012 में 16,980 मतों से जीत दर्ज की। निकाय, इंड्रस्टी, तकनीकी व मेडिकल शिक्षा जैसे अहम विभागों में मंत्री रहे।

जोशी दस साल पंजाब सरकार का हिस्सा रहे। 2017 के चुनाव में उन्हें 14,236 मतों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा। 1985 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बने जोशी 1990

में रामसेवक दल के अग्रणी सदस्य रहे और श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में

सक्रियता से भाग लिया। बाद में गठित हुए बजरंग दल के तरनतारन से संयोजक बने। 1999 में राजनीति में आए और तरनतारन मंडल के प्रधान बने। 2001 से लेकर 2005 तक लगातार दो बार भाजपा देहाती के प्रधान बने। छीना का अपना राजनीतिक और सामाजिक कद

रा¨जदर मोहन ¨सह छीना का अपना सियासी-सामाजिक कद है। 2007 में भाजपा में शामिल हुए। छीना पार्टी में सिख चेहरा होने के नाते उन्हें पूरा मान सम्मान मिला। छीना ने 2007 का विधानसभा चुनाव लड़ा और वह 12,103 मतों से हार गए। पार्टी ने उन्हें 2017 लोकसभा उपचुनाव में भी मौका दिया, पर वह 1,99,189 मतों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी गुरजीत सिंह औजला से चुनाव हार गए। भाजपा ने उन्हें 2009 में उन्हें नगर सुधार ट्रस्ट का चेयरमैन, 2009-12 तक पंजाब

स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एंड एक्सपोर्ट कारपोरेशन लिमिटेड का चेयरमैन और

2015-17 तक पंजाब नेशनल बैंक का डायेक्टर बनाया। इसके अलावा छीना इंडियन एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट, खालसा कॉलेज गवर्निंग कौ¨सल और भट्ठा एसोसिएशन के अहम पदों पर काम करने के अलावा सामाजिक संगठनों में सक्रिय हैं।

दोनों ही नेताओं की ग्रामीण पृष्ठभूमि

छीना और जोशी दोनों ही भाजपा नेता देहाती पृष्ठभूमि के हैं। बतौर अमृतसर देहाती प्रधान जोशी ने 2001 से 2005 तक लोकसभा हलके के अहम विधानसभा हलकों अटारी, अजनाला, मजीठा, राजासांसी में काम किया है। छीना भी इन्हीं हलकों में अपनी सक्रियता बढ़ाए हुए हैं। खासबात यह है कि दोनों के ही अकालियों से घनिष्ठ संबंध हैं। देहात के हलके अकाली दल से संबंधित हैं। इसलिए दोनों ही मानकर चल रहे हैं कि उन्हें उनका समर्थन मिलेगा। मलिक-पुरी की ना, सहगल फेसबुक पेज पर

राज्यसभा सदस्य व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्वेत मलिक का नाम भी

लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा में आया था, पर उनकी राज्यसभा की टर्म मई 2022 तक होने की वजह उन्होंने चुनाव में उतरने में कोई रुचि नहीं दिखाई।

वैसे भी बतौर प्रदेश अध्यक्ष उन्होंने चुनाव लड़वाना है। केंद्रीय अर्बन

डेवल्पमेंट व हाउ¨सग मंत्री हरदीप ¨सह पुरी की सक्रियता के बाद उनका

भी नाम बतौर प्रत्याशी उछला, पर उनकी राज्यसभा का कार्यकाल भी अभी पड़ा है और उन्हें कहा कि वह इससे संतुष्ट है, इसलिए उन्होंने भी यहां से चुनाव लड़ने से मना कर दिया। महिला कोटे से वरिष्ठ पार्षद रही मीनू सहगल भी हाईकमान से संपर्क कर रही हैं और उन्हें बकायदा अपना

फेसबुक पेज 'मीनू सहगल फार लोकसभा अमृतसर' बनाते हुए वर्करों की नब्ज टटोलनी शुरू कर दी है।

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