आरटीए दफ्तर में चालान खिड़की पर एजेंटों का कब्जा
रामतीर्थ रोड स्थित आरटीए दफ्तर में चालान भुगतना भी किसी बड़ी लड़ाई लड़ना पड़ रहा है।
विक्की कुमार, अमृतसर
रामतीर्थ रोड स्थित आरटीए दफ्तर में चालान भुगतना भी किसी बड़ी लड़ाई लड़ने से कम नहीं है। यहां पर चालान भुगतने के लिए एक ही विंडो है, और वहां पर भी एजेंटों का ही कब्जा रहता है। एजेंटों की अधिकारियों तक इतनी पैठ है कि जिस खिड़की पर लोग चालान भुगतने आते हैं, उसके अंदर स्टाफ के साथ कई एजेंट भी बैठते हैं। ये एजेंट बाहर बैठने वाले एजेंटों के संपर्क में रहते हैं। इन एजेंटों के पास इतनी पावर है कि वह आधे रेट में भी लोगों के चालान निकलवा देते हैं। बशर्ते इसकी उन्हें कोई रसीद नहीं मिलेगी।
बुधवार को आरटीए दफ्तर में दैनिक जागरण की टीम ने जब दौरा किया तो हालात यहीं दिखे। यहां पर चालान भुगतने आने वाले लोगों की भीड़ लगी थी। वहीं उनके आस-पास एजेंट भी घूम रहे थे। एक एजेंट तो ऐसा था, जो सरेआम कुर्सी लगाकर वहां आने वाले लोगों से सस्ते भाव में चालान निकलवाने का दावा कर रहा था। फिलहाल आरटीए में एजेंटों के फैले मकड़जाल से अधिकारियों पर भी कई सवाल खड़े होते हैं, और सरकार को भी सीधे तौर पर करोड़ो का नुकसान हो रहा है।
एजेंट इस तरह फंसाते हैं अपने जाल म ं
दफ्तर में जब कोई चालान भुगतने के लिए आता है तो उसके आस-पास एजेंट भी घूमते हुए नजर आ जाएंगे। जब उपभोक्ता चालान विंडो तक पहुंच जाता है तथा जब चालान का कागज देता है तो अंदर से जुर्माना की राशि की आवाज दी जाती है। उपभोक्ता अगर उसे भर देता है तो ठीक, अगर नहीं भरता तो एजेंट उसे आवाज दे देता है। वह उसे कहता है कि वह आधे रेट में चालान निकलवा देगा। चालान उपभोक्ता से ले लिया जाता है और अंदर बैठे स्टाफ को उसकी फोटो खींचकर भेज दी जाती है। जिसके बाद स्टाफ का मुलाजिम वह चालान निकाल देता है।
आज तक नहीं हुआ कोई आडिट
आरटीए विभाग में चालान भुगतने आने वाले लोगों का कोई ब्यौरा नहीं है। चालानों का विभाग के पास कोई भी रिकार्ड नहीं है। क्योंकि न तो उसे आनलाइन चढ़ाया जाता है और न ही विभाग में कोई इसका रिकार्ड रहता है। रिकार्ड सिर्फ वही मिलेगा, जिस उपभोक्ता को रसीद दी गई है। हैरानीजनक पहलू यह है कि चालान विभाग में आज तक कोई आडिट तक भी नहीं हुआ है और यही कारण है कि बेखौफ होकर अधिकारी अपना काम करने में लगे हुए हैं। अगर इसका आडिट भी करवा लिया जाए तो करोड़ो का घोटाला सामने आ सकता है। फोटो- 63 व 64 यह है चालान के रेट-
बिना हेलमेट - 1000
बिना आरसी - 5000
बिना लाइसेंस - 5000
ओवर स्पीड - 2000
रेड लाइट जंप - 2000
रान्ग साइड पार्किंग - 2000
बुलेट के साइलेंसर पटाखा मारने का - 5000
कार की सीट बेल्ट ना कहने का - 2000 रुपये एजेंट दिलाते हैं काम करवाने का भरोसा
चालान भुगतने आए अक्षय कुमार का कहना था कि पिछले इन दिनों से अपना चालान भुगतने के लिए आ रहे हैं, लेकिन उन्हें कहा जा रहा है कि उनका अभी तक चालान नहीं पहुंचा है। उसका कहना था कि जब वह वापस जाने लगा तो एक एजेंट ने उसे रोक लिया और कहने लगा कि जब उसका चालान आ जाएगा तो वह निकलवा देगा मैं सीधा उससे आकर मिल लेना। चालान का कागज उसे व्हाट्सएप कर दें। एक सप्ताह से लगवा रहे चक्कर
मलकीत सिंह का कहना था कि वह पिछले एक सप्ताह से दफ्तर में चालान भुगतने के लिए आ रहा है। लेकिन उसे यही जवाब मिल रहा है कि अभी तक चलान उनके पास नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा कि रोजाना चक्कर लगाकर वह परेशान हो गया है लेकिन उन्हें सही जवाब नहीं मिल रहा है। उसने कहा कि एक एजेंट उसे मिला और उसे कहने लगा कि वह उसका चलान निकलवा देगा लेकिन उसे क्या पता वह कौन है और उसे चालान वह कैसे दे सकता था।