जोशी बनेंगे शिअद के खेवनहार, उत्तरी हलके में 1951 से कांग्रेस-भाजपा रही है आमने-सामने

अब साफ हो गया है कि जोशी शिरोमणि अकाली दल ज्वाइन करने वाले हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 18 Aug 2021 07:00 AM (IST) Updated:Wed, 18 Aug 2021 07:00 AM (IST)
जोशी बनेंगे शिअद के खेवनहार, उत्तरी हलके में 1951 से कांग्रेस-भाजपा रही है आमने-सामने
जोशी बनेंगे शिअद के खेवनहार, उत्तरी हलके में 1951 से कांग्रेस-भाजपा रही है आमने-सामने

विपिन कुमार राणा, अमृतसर: पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी को किसानी मुद्दे उठाने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 10 जुलाई 2021 को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। उसके बाद से ही अटकलों का बाजार गर्म था कि अब जोशी आजाद चुनाव लड़ेंगे या फिर किस पार्टी को अपना अगला सियासी आशियाना बनाएंगे। मगर अब साफ हो गया है कि जोशी शिरोमणि अकाली दल ज्वाइन करने वाले हैं। सूत्रों की माने तो 20 अगस्त को जोशी चंडीगढ़ में शिअद का हिस्सा बन जाएंगे। उनके साथ पार्षद अमन ऐरी के भी शिअद ज्वाइन करने की संभावना है।

विधानसभा हलका उत्तरी की बात करें तो 1951 से आज तक अहम मुकाबला कांग्रेस बनाम भाजपा का ही रहा है। इसमें सात बार कांग्रेस जबकि चार बार भाजपा विजयी रही है। जोशी के अकाली दल ज्वाइन करने के बाद अकाली दल पहली बार इस हलके से चुनाव मैदान में उतरेगा। भाजपा और कांग्रेस का अच्छा खासा कैडर व वोट बैंक उत्तरी हलके में है और दोनों के कैडर की खासियत यह है कि वह अपने चुनाव निशान से बाहर नहीं जाता। हलके में शहरी आबादी होने की वजह से अकाली दल का कम ही आधार यहां रहा है। ऐसे में अपने बूते पर जोशी अकाली दल को उत्तरी हलके में स्टैंड करने में कितना कामयाब होते हैं, यह आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल जोशी की ज्वाइनिग पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। 2007 में उत्तरी हलके से विधायक बने थे जोशी

जोशी पहली बार 2007 में यहां से विधायक बने थे। तब उन्हें 33397 वोट मिले थे और उन्होंने कांग्रेस के जुगल किशोर शर्मा को हराया था। 2012 में उन्होंने वर्तमान मेयर करमजीत सिंह रिटू को हराया। जोशी को तब 62374 और रिटू को 45394 मत मिले थे। 2017 में वह कांग्रेस प्रत्याशी सुनील दत्ती से हार गए थे। तब जोशी को 44975 वोट मिले थे, जबकि दत्ती को 59212 मत मिले थे। मैणी के जाते ही लगने लगी थी अटकलें

किसानी मुद्दों पर सबसे पहले जोशी के खास रहे भाजपा प्रवक्ता एडवोकेट आरपी सिंह मैणी ने 25 सितंबर 2020 को भाजपा छोड़ने की घोषणा की थी और 8 नवंबर 2020 को उन्होंने अकाली दल का दामन थाम लिया था। मैणी के जाने के बाद से ही अटकलों का बाजार गर्म था कि जोशी ने अकाली दल में जाने से पहले मैणी को भेजते हुए अपनी जमीन तैयार करनी शुरू की है। मैणी के साथ जोशी खेमे के कई नेता चले गए थे। मेरे विचारों का शिअद से मेल, इस पार्टी में फैसले तत्परता से पंजाब में होते हैं: जोशी

अनिल जोशी ने कहा कि भाजपा द्वारा 35 साल सेवा करने के बाद उन्हें निष्कासित किए जाने के बाद कौन सी पार्टी ज्वाइन करनी है, इसका फैसला अपनी टीम पर छोड़ दिया था। टीम का एक ही मत था कि पंजाब व पंजाबियों को अपने फैसलों के लिए दिल्ली की तरफ न देखना पड़े, हम ऐसी क्षेत्रीय पार्टी ज्वाइन करें। पार्टी सेकुलर हो और उसमें सभी का पूर्ण प्रतिनिधित्व हो। बिना शक अकाली दल में ऐसा ही होता है, जिसके फैसले तत्परता के साथ पंजाब में होते हैं। अकाली दल किसानों की लड़ाई लड़ रहा है और मेरी सोच भी यही होने की वजह से हमारी विचारधारा भी मिलती है। भाजपा से अलग होने की वजह से शिअद में हिदू प्रतिनिधित्व वाला जो गेप बना है, वह भी धीरे धीरे खत्म हो रहा है। वैसे भी मैंने दस साल उनके साथ काम किया है। वैसे भी प्रकाश सिंह बादल की प्रतिबद्धता हमेशा ही सामाजिक सौहार्द की रही है। शिअद बसपा को उत्तरी हलके की सीट दे चुका है, क्या आपके लिए यह स्पेव होगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह अकाली दल ज्वाइन करने के बाद का विषय है।

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