Jharkhand Politics: जमीन की रक्षा और शोषण के खिलाफ संघर्ष करने का रहा है जनजातियों का इतिहास

Jharkhand Politics डा रामेश्वर उरांव ने कहा कि हमारा इतिहास रहा है कि अनुसूचित जनजाति के बीच के ही लोग अपना राजा चुनते रहे हैं जमीन की रक्षा और शोषण के खिलाफ चाहे ब्रिटिश हुकुमत हो या कोई और आदिवासियों ने विद्रोह और संघर्ष का बिगुल फूंकने का काम किया।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Sat, 13 Feb 2021 05:47 PM (IST) Updated:Sat, 13 Feb 2021 05:47 PM (IST)
Jharkhand Politics: जमीन की रक्षा और शोषण के खिलाफ संघर्ष करने का रहा है जनजातियों का इतिहास
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डा रामेश्वर उरांव ने मदरा मुंडा की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया।

रांची,जासं। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डा रामेश्वर उरांव ने शनिवार को मोरहाबादी-बोरिया रोड स्थित मदरा मुंडा रिंग रोड चौक पर महाराजा मदरा मुंडा की आदमकद प्रतिमा का अनावरण सिमडेगा विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे,लाल किशोर नाथ शाहदेव, डा राजेश गुप्ता छोटू,बेलस तिर्की, सोमनाथ मुंडा, बबलू राम,अंतू तिर्की,बीणा देवी की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया। यह प्रतिमा राजस्थान से बनकर आई है।

प्रतिमा अनावरण समारोह को संबोधित करते हुए डा रामेश्वर उरांव ने कहा कि हमारा इतिहास रहा है कि अनुसूचित जनजाति के बीच के ही लोग अपना राजा चुनते रहे हैं, जमीन की रक्षा और शोषण के खिलाफ चाहे वह इस्ट इंडिया कंपनी हो या ब्रिटिश हुकुमत, आदिवासियों ने विद्रोह और संघर्ष का बिगुल फूंकने का काम किया। राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्र में चाहे वह कोल विद्रोह हो या भगवान बिरसा मुंडा का अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष हो अथवा 1858 में संतालपरगना इलाके में हूल आंदोलन हो, सभी स्थानों पर जनजातीय समाज ने जमीन बचाने के लिए एवं शोषण से मुक्ति के लिए संघर्ष कियाहै। 

उन्होंने कहा कि सत्ता भले ही इधर से उधर गई, लेकिन जमीन की रक्षा और शोषण के खिलाफ पूर्वजों का इतिहास संघर्ष भरा रहा। आदिवासियों के हितों की रक्षा को लेकर बनाए गए सीएनटी-एसपीटी कानून में भी छेड़छाड़ की कोशिश की गई। परंतु इतिहास का चक्र एक बार फिर घूमा है, एक बार राज्य में आदिवासियों-मूलवासियों का शासन बना है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही सरकार में किसी को भी डरने की कोई जरुरत नहीं है, सरकार किसी के प्रति विद्वेष की भावना से काम नहीं करती। सभी वर्गां के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन आदिवासी-मूलवासी के जमीन पर नजर मत गड़ाईये।

उन्होंने कहा कि झारखंड की संस्कृति, भाषा और जल, जंगल-जमीन की रक्षा हो सके, इसके लिए सदियों से लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम रही। आज भी पेसा कानून के माध्यम से महाराजा मदरा मुंडा के राज के समय से चली आ रही ग्रामसभा को मजबूत बनाए रखने की परंपरा का निर्वहन हो रहा है। उन्होंने महाराजा मदरा मुंडा की प्रतिमा अनावरण में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने वाले सोमनाथ मुंडा के कार्यों की भी सराहना की। डा रामेश्वर उरांव ने कहा, हम अपने पूर्वजों का इतिहास पढ़ेंगे। हम रांची जिला में अलग-अलग जगहों पर महाराजा मदरा मुंडा की प्रतिमा भी लगाएंगे। आदिवासी मूलवासी के हाथों में अभी शासन आया है, देश सबका है, राज्य सबका है ,रहने का सबको अधिकार है। लेकिन शोषण करने का और जमीन लूटने का अधिकार हम किसी को नहीं दे सकते। हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति, हमारी भाषा, हमारी जमीन हमारा सब कुछ है।

विशिष्ट अतिथि के रुप में मौजूद विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी ने मुंडाओं के इतिहास पर रौशनी डालते हुए कहा कि 600 ईसा पूर्व हमारे पूर्वज पिठोरिया के सुतीयाम्बे में आए थे और सामाजिक ढंग से जीवन यापन कर रहे थे। हमारा जुड़ाव सिंधू घाटी सभ्यता, मोहनजोदड़ो, हड़प्पा संस्कृति से है जिनके इतिहास, संस्कृति, परंपराओं को दबाया जा रहा है। मुंडा समाज अत्याचार के शिकार हुए हैं। विधायक ने कहा शासक का पहला हक मुंडा को मिलना चाहिए।

अनावरण समारोह के संयोजक सोमनाथ मुंडा ने बताया कि महाराजा मदरा मुंडा एक बहुत ही प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी शासक थे। मदरा मुंडा का शासनकाल महाभारत काल के समकक्ष था। उन्होंने महाभारत के युद्ध में भी भाग लिया था और छोटानागपुर के एक बहुत ही लोकप्रिय शासक थे। इन्हीं के कार्यकाल में पड़हा शासन व्यवस्था विकसित हुई।

अनावरण समारोह में अतिथि के रूप में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव,डा राजेश गुप्ता,आदिवासी कांग्रेस के जिला अध्यक्ष बेलस तिर्की ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम समाप्ति के उपरांत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा रामेश्वर उरांव व  विधायक नमन बिक्सल कोंगाड़ी ने मौजूद विभिन्न गांव के पाहनों को अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया।

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