टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान के तहत लखीसराय में टीबी मरीजों की खोज, 2025 तक टीबी मुक्‍त बनेगा भारत

केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त देश बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है परंतु वैश्विक महामारी कोरोना काल में यक्ष्मा कर्मियों को कोरोना ड्यूटी में लगाए जाने के कारण गत वर्ष की अपेक्षा 21 फीसद कम टीबी मरीज चिह्नित किए जा सके।

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Publish:Sun, 10 Jan 2021 03:23 PM (IST) Updated:Sun, 10 Jan 2021 03:23 PM (IST)
टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान के तहत लखीसराय में टीबी मरीजों की खोज, 2025 तक टीबी मुक्‍त बनेगा भारत
घर-घर जाकर टीबी मरीजों को किया जा रहा चिह्नित, खोजने पर मिलेगा पांच सौ रुपये का लाभ

जागरण संवाददाता, लखीसराय । टीबी संक्रामक एवं जानलेवा बीमारी है। टीबी के अनियमित एवं अधूरे इलाज के कारण ड्रग रेजिस्टेट टीबी हो जाती है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त देश बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है परंतु वैश्विक महामारी कोरोना काल में यक्ष्मा कर्मियों को कोरोना ड्यूटी में लगाए जाने के कारण गत वर्ष की अपेक्षा 21 फीसद कम टीबी मरीज चिह्नित किए जा सके। इसको गति देने के लिए भारत सरकार के परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव द्वारा माह जनवरी 2021 में टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत टीबी मरीजों को चिह्नित करने को लेकर सघन खोजी कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

सघन खोजी कार्यक्रम के तहत होने वाले कार्य

चार से नौ जनवरी तक जिले में घर-घर जाकर 10 वर्ष से कम एवं 60 वर्ष से अधिक उम्र के कैंसर पीड़तों, लीवर की बीमारी से ग्रसित लोगों, अस्थामा, हृदय रोगी, मधुमेह, रक्तचाप आदि रोग से ग्रसित लोगों का टीबी रोग से संबंधित स्रक्रीनिंग , जांच एवं इलाज किया गया।

टीबी रोगियों का आसान तरीके से समुचित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराने को लेकर प्राइवेट चिकित्सकों का निक्षय पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन एवं अभियान के दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

11 से 16 जनवरी तक उच्च जोखिम युक्त समूह वाले जगहों कारागृह, सुधारगृह, नारी निकेतन, रैन वसेरा, वृद्धाश्रम, पोषण पुनर्वास केंद्र आदि जगहों पर टीबी मरीजों की खोज की जाएगी।

18 से 23 जनवरी तक निजी चिकित्सकों के साथ संपर्क कर प्राइवेट सेक्टर के अंतर्गत इलाजरत टीबी रोगियों का नोटिफिकेशन किया जाएगा।

27 से 31 जनवरी तक शहरी क्षेत्र के दलित अथवा मलिन बस्ती, ईंट-चिमनी भवन , नव निर्मित कार्यस्थल, ग्रामीण दूरस्थ एवं कठिन क्षेत्र , महादलित टोला एवं अन्य लक्ष्य समूह में टीबी मरीजों की खोज की जाएगी।

टीबी मरीजों को चिह्नित करने के दौरान खर्च की स्थिति

दूरस्थ क्षेत्रों में खोज अभियान के दौरान कम-से-कम 50 घर भ्रमण करने पर आशा कार्यकर्ता अथवा सामुदायिक उत्प्रेरक को एक सौ रुपये दिया जाएगा। सघन खोज अभियान के दौरान जांचोपरांत टीबी मरीजों के पंजीकृत करने पर टीबी इन्फोर्मेंट के रूप में सामुदायिक उत्प्रेरक को प्रति मरीज पांच सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

क्‍या कहते हैं अपर उपाधीक्षक

अपर उपाधीक्षक-सह-सहायक अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी-संचारी रोग (यक्ष्मा) डॉ प्रकाश चंद्र वर्मा ने कहा कि वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उक्त अभियान काफी महत्वपूर्ण है। इसको लेकर प्रयोगशाला, उपकरण एवं मानव संसाधन की व्यवस्था कर ली गई है। जिले में सघन खोजी कार्यक्रम की शुरूआत हो गई है। इसका बहुत ही अच्छा परिणाम होगा।

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