Hariyali Amawasya : हरियाली अमावस्या पर शंकराचार्य मंदिर में विशेष पूजा और जलाभिषेक
सिर्फ छड़ी मुबारक ही दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी के नेतृत्व में पवित्र गुफा में वार्षिक पूजन और मुख्यदर्शन का विधान सपंन्न करने के लिए जाएगी। श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा को श्रह अमरेश्वर गुफा के नाम से भी पुकारा जाता है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूराे : डल झील के किनारे स्थित गोपाद्री पर्वत पर शंकराचार्य मंदिर में रविवार की सुबह उस समय हर-हर महादेव के जयघोष और शंख की धुन से पूरा वातावरण शिवमय हो गया, जब भगवान अमरेश्वर की पवित्र छड़ी मुबारक ने भगवान शिव की पूजा के लिए मंदिर में प्रवेश किया। पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक स्वामी अमरनाथ की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा से पूर्व हरियाली अमावस्या को पवित्र छड़ी मुबारक को शंकराचार्य मंदिर में पूजा के लिए ले जाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी से उपजे हालात में इस वर्ष भी बीत साल की तरह श्री अमरनाथ की पवित्र वार्षिक तीर्थयात्रा को आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रखा गया है। सिर्फ छड़ी मुबारक ही दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी के नेतृत्व में पवित्र गुफा में वार्षिक पूजन और मुख्यदर्शन का विधान सपंन्न करने के लिए जाएगी। श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा को श्रह अमरेश्वर गुफा के नाम से भी पुकारा जाता है। दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी ही भगवान अमेरश्वर की पवित्र छड़ी मुबारक के संरक्षक भी हैं।
आज सुबह महंत दीपेंद्र गिरी के नेतृत्व में छड़ी मुबारक अपने विश्राम स्थल से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शंकराचार्य मंदिर के लिए रवाना हुई। महंत दीपेंद्र गिरी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान शंकर की पूजा की और पवित्र शिवलिंग का जलाभिषेक किया। करीब 90 मिनट तक पवित्र छड़ी मुबारक ने शंकराचार्य मंदिर में पूजा करने के अलावा अन्य सभी धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए।
कोविड-19 महामारी से उपजे हालात को देखते हुए शंकराचार्य मंदिर में पवित्र छड़ी मुबारक के अागमन और धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए जाने क दौरान कोविड-19 प्रोटोकाल का पूरी तरह से पालन किया गया। महंत दीपेंद्र गिरी ने बताया कि आज हरियाली अमावस्या के दिन शंकराचार्य मंदिर में पवित्र छड़ी मुबारक के आगमन और पूजा का विधान है। उन्हाेंने कहा कि हमने आज यहां भगवान शंकर की आराधना करते हुए पूरी मानव जाति के कल्याण, विश्व में शांति और समृद्धि की कामना करत हुए कोविड महामारी से मुक्ति की प्रार्थना की है।
उन्होंने कहा कि हमने जम्मू कश्मीर में शांति, सुरक्षा, विश्वास और सुख समृद्धि के वातावरण की बहाली की कामना भी की है। सोमवार को पवित्र छड़ी मुबारक हारि पर्वत स्थित मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा के लिए जाएगी। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि शंकराचार्य मंदिर को पहले ज्येष्ठश्वरा और ज्योतिश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता था। आदिशंकराचार्य जी जब इस मंदिर में आए और उन्हांने कुछ समय तक यहां तपस्या भी की थी। उसके बाद से इस मंदिर और पहाड़ी का नाम शंकराचार्य हाे गया।