Citizenship Amendment Act: शशि थरूर बोले, मैं यह नहीं कहूंगा कि जिन्ना जीत गए लेकिन वह जीत रहे हैं
Jaipur Literature Festival 2020 सीएए लागू करने पर जिन्ना के दो राष्ट्र वाले सिद्धांत वाले बयान पर शशि थरूर ने कहा कि मैं यह नहीं कहूंगा कि जिन्ना जीत गए लेकिन वह जीत रहे हैं।
जयपुर, जेएनएन। Jaipur Literature Festival 2020: कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि केरल, राजस्थान आदि राज्यों द्वारा सीएए के खिलाफ पारित प्रस्ताव एक राजनीतिक स्टेटमेंट है। हम इससे सहमत नहीं हैं, लेकिन यदि इसे लागू करने की बात होगी तो करना पड़ेगा, क्योंकि नागरिकता तो केंद्र सरकार ही दे सकती है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मीडिया से बात करते हुए थरूर ने कहा कि सीएए के मामले में काम तो केंद्र का ही है और वह कर भी लेगा, लेकिन राज्यों का जो विरोध है, उस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएए के बाद जब केद्र एनपीआर या एनआरसी करना चाहेगी, तब राज्यों का सहयोग जरूरी होगा और उस समय राज्य मना कर देंगे तो केंद्र क्या करेगा। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने का विचार पाकिस्तान का है।
राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी दिए जाने के मुद्दे पर थरूर ने कहा कि गरीबों को सब्सिडी दी जाए तो उसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन यदि सबको देंगे तो सरकार दिवालिया होगी ही। यदि हम अपनी लागत का वापस कुछ भी नहीं ले रहे हैं, तो एक दिन दिक्कत आएगी ही। उन्होंने कहा कि दिल्ली के वोटर को यह बात समझनी चाहिए, क्योंकि केजरीवाल की सरकार कहती बहुत ज्यादा लेकिन जमीन पर बहुत कम दिखता है।
कांग्रेस सांसद व वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा है कि सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का राज्यों का कदम राजनीति से प्रेरित है क्योंकि नागरिकता देने में उनकी बमुश्किल ही कोई भूमिका नजर आती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण (एनपीआर) और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के क्रियान्वयन में राज्यों की अहम भूमिका होगी क्योंकि केंद्र के पास मानव संसाधन का अभाव है, ऐसे में उनके अधिकारी ही इस काम को पूरा करेंगे।
मैं यह नहीं कहूंगा कि जिन्ना जीत गए, लेकिन वह जीत रहे हैं
एएनआइ के मुताबिक, सीएए लागू करने पर मोहम्मद अली जिन्ना के दो राष्ट्र वाले सिद्धांत वाले बयान पर शशि थरूर ने कहा कि मैं यह नहीं कहूंगा कि जिन्ना जीत गए, लेकिन वह जीत रहे हैं।
मुसलमानों के साथ हिंदू न्याय नहीं कर सकते
अगर सीएए एनपीआर और एनआरसी की ओर जाता है, तो उसी लाइन पर जाएगा। अगर ऐसा होता है, तो आप कह सकते हैं कि जिन्ना की जीत पूरी हो गई है। जिन्ना जहां भी हैं, वे कहेंगे कि वह सही थे कि मुसलमान एक अलग राष्ट्र के लायक हैं क्योंकि मुसलमानों के साथ हिंदू न्याय नहीं कर सकते।
गौरतलब है कि इससे पहले कोलकात में कांग्रेस सांसद व वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा था कि सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का राज्यों का कदम राजनीति से प्रेरित है क्योंकि नागरिकता देने में उनकी बमुश्किल ही कोई भूमिका नजर आती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण (एनपीआर) और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के क्रियान्वयन में राज्यों की अहम भूमिका होगी क्योंकि केंद्र के पास मानव संसाधन का अभाव है, ऐसे में उनके अधिकारी ही इस काम को पूरा करेंगे।