Sushant Singh Rajput Case: संजय राउत फिर आदित्य ठाकरे का बचाव करते दिखे

Sushant Singh Rajput Case शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में चल रही शिवसेनानीत सरकार विपक्ष को हजम नहीं हो रही है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 08:33 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 08:33 PM (IST)
Sushant Singh Rajput Case: संजय राउत फिर आदित्य ठाकरे का बचाव करते दिखे
Sushant Singh Rajput Case: संजय राउत फिर आदित्य ठाकरे का बचाव करते दिखे

राज्य ब्यूरो, मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राउत सुशांत सिंह राजपूत मामले में वीरवार को एक बार फिर महाराष्ट्र सरकार के युवा मंत्री आदित्य ठाकरे का बचाव करते दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि आदित्य का नाम सिर्फ मीडिया इस प्रकरण में घसीट रहा है। सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या प्रकरण में स्वयं आदित्य ठाकरे भी यह कहते हुए अपनी सफाई पेश कर चुके हैं कि गंदी राजनीति के तहत उन पर कीचड़ उछाला जा रहा है। संजय राउत ने भी पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में चल रही शिवसेनानीत सरकार विपक्ष को हजम नहीं हो रही है।आदित्य ठाकरे का नाम लिए बगैर सुशांत व दिशा सालियान मामलों में उनका संबंध होने का इशारा भाजपा नेता नारायण राणे ने किया था।

उसके बाद राणे के विधायक पुत्र नीतेश राणे भी आदित्य की ओर इशारा करते हुए उनके पिता व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे की मांग कर चुके हैं। इन दोनों मामलों में आदित्य का नाम उछलने के बाद से ही शिवसेना बचाव की मुद्रा में है। मुंबई पुलिस द्वारा अब तक इस मामले में विधिवत एफआइआर दर्ज नहीं करने व महाराष्ट्र सरकार द्वारा लगातार सीबीआइ जांच का विरोध करने के कारण भी शिवसेनानीत सरकार की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 

महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार में शिवसेना की साझीदार कांग्रेस व राकांपा सहित सुशांत की महिला मित्र रिया चक्रवर्ती के वकील सतीश माने शिंदे ने भी सुशांत आत्महत्या प्रकरण की जांच बिहार सरकार द्वारा सीबीआइ को सौंपे जाने पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस-राकांपा ने जहां यह मामला सीबीआइ को सौंपे जाने को राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप करार दिया है, वहीं वकील मानेशिंदे ने कहा कि जिस मामले में बिहार पुलिस को शामिल होने का कोई अधिकार ही नहीं बनता उसकी जांच बिहार सरकार सीबीआइ को नहीं सौंप सकती। उनके अनुसार, बिहार पुलिस ज्यादा से ज्यादा जीरो एफआईआर दर्ज कर यह मामला मुंबई पुलिस को सौंप सकती थी।

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