Rajasthan: हमें जिस डॉक्टर को अपना मर्ज बताना था बता दियाः सचिन पायलट
Rajasthan सचिन पायलट ने कहा कि हमें जिस डॉक्टर के पास अपने मर्ज को बताना था उसे बता दिया। सदन में आज आए हैं तो कहने-सुनने की बातों को छोड़ना होगा।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बगल वाली सीट पर नहीं बैठे। कांग्रेस के सियासी संग्राम के दौरान उप मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किए गए पायलट निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के पास वाली सीट पर बैठे। उन्हें सीट नंबर 127 आवंटित की गई है, जो चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा व परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के पीछे हैं। खुद की सीट बदलने को लेकर भाजपा विधायकों द्वारा उठाए गए सवाल पर पायलट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष व मुख्य सचेतक ने मेरी सीट में बदलाव किया। पहले जब मैं बैठता था, सुरक्षित और सरकार का हिस्सा था मैंने सोचा मेरी सीट यहां क्यों रखी है। बाद में मैंने देखा कि यह सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सरहद है। सरहद पर उसे ही भेजा जाता है, जो मजबूत होता है।
उन्होंने कहा समय के साथ सब बातों का खुलासा होगा, जो कुछ कहना था सुनना था, हमें जिस डॉक्टर के पास अपने मर्ज को बताना था उसे बता दिया। सदन में आज आए हैं तो कहने-सुनने की बातों को छोड़ना होगा, इस सरहद पर कितनी भी गोलाबारी हो कवच और ढाल बनकर रहूंगा। मैं जब तक हूं सरकार सुरक्षित है। इस पर सीएम अशोक गहलोत सहित सत्तापक्ष के अन्य विधायकों ने मेज थपथपाई।
पायलट और गहलोत गर्मजोशी से मिले
34 दिन तक चली आपसी खींचतान के बाद विधानसभा में सीएम गहलोत व पायलट गर्मजोशी से मिले, दोनों ने हाथ मिलाया। विश्वास प्रस्ताव पर सीएम का भाषण समाप्त होने के बाद जब सब विधायक उनके पास बधाई देने के लिए पहुंचे तो पायलट भी गए। पायलट को देखते ही सीएम ने उन्हे अपने पास बुलाया और हाथ मिलाया। हालांकि पायलट से आज गहलोत खेमे के कुछ विधायकों ने दूरी बनाए रखी, लेकिन फिर भी सीएम ने माहौल हल्का करने का प्रयास किया। उल्लेखनीय है कि विवाद के दौरान सीएम ने कहा था कि उनकी पायलट से 18 माह से बात नहीं हुई है। मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए गए पायलट समर्थक विश्वेंद्र सिंह को 14 नंबर व रमेश मीणा को 54 नंबर की सीट आवंटित की गई है। कोरोना के कारण विधायकों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बिठाया गया।
विधानसभा में पहली बार कुर्सियां भी लगाई जाएंगी, जिन पर विधायक बैठे। ऐसा विधायकों को आपस में दूरी से बिठाने के कारण किया गया। कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए विधानसभा में प्रवेश पर सख्ती बरती गई है। मंत्रियों के निजी स्टाफ को इस बार केवल दो ही पास दिए गए हैं, जबकि पहले पांच पास देने की व्यवस्था थी। इसी तरह विभिन्न विभागों को भी दो-दो पास दिए गए हैं। मीडियाकर्मियों के प्रवेश-पत्रों में भी कमी की गई। विधानसभा में प्रवेश द्वार पर हाथ धोने व सेनेटाइज करने का प्रबंध किया गया है।