Rajasthan Political Crisis: गहलोत-पायलट के बीच अब कोर्ट में दो-दो हाथ, डबल बेंच में आज होगी सुनवाई
सचिन पायलट खेमा के विधायकों की सदस्यता रद करने को लेकर जारी नोटिस के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में दो जजों की बेंच शुक्रवार दोपहर मामले की सुनवाई करेगी।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में सचिन पायलट सहित उनके 19 समर्थित विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस देने का मामला गुरुवार को हाईकोर्ट पहुंच गया। ऐसे में कांग्रेस में छिड़ी रार में अब सुलह की बहुत कम गुंजाइश बची है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सचिन पायलट ने साफ संकेत दे दिया है कि वह आरपार की लड़ाई लड़ेंगे। सियासी घमासान हाई कोर्ट के सिंगल बेंच होता हुआ शाम को मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की डबल बेंच तक पहुंच गया। मुख्य न्यायाधीश अब इस मामले की सुनवाई शुक्रवार दोपहर एक बजे करेंगे। सचिन की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे व मुकुल रोहतगी ने विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस को चुनौती दी। जबकि दूसरी ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की। यह सुनवाई ऑनलाइन हुई।
सचिन के सामने ये होगी चुनौती
शुक्रवार दोपहर एक बजे ही विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने 19 विधायकों के निष्कासन को लेकर दिये गए नोटिस का जवाब भी मांगा है। पायलट के लिए परेशानी यह है कि यदि हाई कोर्ट की खंडपीठ का निर्णय आने से पहले 19 विधायकों के जवाब से असंतुष्ट होकर सदस्यता रद करने का आदेश विधानसभा अध्यक्ष दे देते हैं तो मामला पेचीदा हो जाएगा। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि फिर पायलट को सुप्रीम कोर्ट जाना होगा।
साल्वे ने कहा, नोटिस की संविधानिक वैधता नहीं
गुरुवार सुबह पायलट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे व मुकुल रोहतगी ने हाई कोर्ट में विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस को चुनौती दी। कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान ही व्हिप मान्य होता है। विधानसभा सत्र के अलावा व्हिप मान्य नहीं होता। ऐसे में नोटिस देना या सदस्यता रद करने की मांग करना गलत है। साल्वे ने कहा कि सदन के बाहर हुई कार्यवाही के लिए स्पीकर नोटिस जारी नहीं कर सकते। नोटिस की संवैधानिक वैधता नहीं है। उन्होंने दो जजों की बेंच गठित करने की मांग की। इससे पहले मामले की सुनवाई जस्टिस सतीश कुमार शर्मा की बेंच में हुई। सुनवाई शुरू होते ही हरीश साल्वे ने संशोधित याचिका पेश करने का समय मांगा। इस पर कोर्ट ने उन्हें समय दिया।
दोपहर बाद संशोधित याचिका पर हुई बहस
दोपहर बाद 4:15 पर फिर सुनवाई हुई। संशोधित याचिका पर हरीश साल्वे और विधानसभा अध्यक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के बीच बहस हुई। सिंघवी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि बिना आधार याचिका को कैसे स्वीकार किया जा सकता है। राज्य के महाधिवक्ता एसएस सिंघवी ने भी याचिका का विरोध किया। मुख्य सचेतक की ओर से वकील अजीत भंडारी ने पक्ष रखा। सरकार की ओर से केवियट भी पेश की गई। सरकार की तरफ से कहा गया कि यह मामला संविधान से जुड़ा होने के कारण दो जजों की खंडपीठ गठित की जाए। इस पर मुख्य न्यायाधीश महांति व जस्टिस गुप्ता की खंडपीठ बनाई गई। देर शाम 7:40 पर खंडपीठ बैठी और मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार दोपहर एक बजे का समय दिया ।
क्या है मामला
सरकारी मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी ने तीन दिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष एक याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि पायलट सहित 19 विधायक पार्टी द्वारा व्हिप जारी करने के बावजूद लगातार दो बार विधायक दल की बैठक में नहीं आए, लिहाजा उनकी सदस्यता रद की जाए। याचिका में कहा गया कि नियम के अनुसार व्हिप का उल्लंघन करने वाले किसी भी पार्टी के विधायक की सदन से सदस्यता समाप्त हो जाती है। इस पर स्पीकर ने पायलट सहित सभी 19 विधायकों को नोटिस जारी कर शुक्रवार दोपहर एक बजे तक जवाब मांगा है।
इन विधायकों को दिया गया नोटिस
विधानसभा अध्यक्ष ने सचिन पायलट, हेमाराम चौधरी, भंवरलाल शर्मा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा, गजेंद्र सिंह शक्तावत, इंद्रराज गुर्जर, गजराज खटाणा, राकेश पारीक, पीआर मीणा, मुरारी लाल मीणा, सुरेश मोदी, वेद्रप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावडि़या, हरीश मीणा, बृजेंद्र ओला व अमर सिंह को नोटिस दिया है।