विज की अब शहरी निकाय चुनाव पर अलग सुर, सरकार में टकराव के हालात, सीएम का कड़ा रुख+

हरियाणा सरकार में शहरी निकाय चुनाव को लेकर टकराव पैदा होता दिख रहा है। कैबिनेट मंत्री अनिल विज का इस मामले में सरकार से अलग रुख है। सीएम मनोहरलाल के तेवर कड़े हो गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 02 Jun 2020 03:46 PM (IST) Updated:Tue, 02 Jun 2020 03:46 PM (IST)
विज की अब शहरी निकाय चुनाव पर अलग सुर, सरकार में टकराव के हालात, सीएम का कड़ा रुख+
विज की अब शहरी निकाय चुनाव पर अलग सुर, सरकार में टकराव के हालात, सीएम का कड़ा रुख+

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा के शहरी निकायों में मेयर, डिप्टी मेयर, चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के चुनावों को लेकर सरकार में मतभेद के हालात पैदा हो गए हैं। शहरी निकाय मंत्री अनिल विज जहां मेयर व चेयरमैन के चुनाव डायरेक्ट (सीधे) वोटिंग के जरिये कराने के हक में नहीं हैं, वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि सरकार में सभी की सहमति से फैसले होते हैं। शहरी निकायों के चुनाव को लेकर अब टकराव के हालात बनते जा रहे हैं।

शहरी निकाय मंत्री अनिल विज सीधे वोटिंग के जरिये चेयरमैन चुनने के हक में नहीं

पिछले कार्यकाल में भाजपा सरकार पांच नगर निगमों के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव वोटिंग के जरिये करा चुकी है। अब नगर परिषद व पालिकाओं के अध्यक्ष के चुनाव की बारी आई तो शहरी निकाय मंत्री के नाते अनिल विज ने इस फाइल में अडंगा डाल दिया है। पिछली बार जब पांच नगर निगमों में मेयर के सीधे चुनाव हुए थे, उस समय कविता जैन शहरी निकाय मंत्री थी।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिए कड़े संकेत, कहा सबकी सहमति से होते हैं फैसले

उस समय चुनाव की प्रक्रिया तय करने के लिए अनिल विज के नेतृत्व में ही एक कमेटी बनाई गई थी, लेकिन इसके बावजूद चुनाव सीधे वोटिंग के जरिये ही हुए थे। बताते हैं कि उस समय भी विज नहीं चाहते थे कि चुनाव सीधे हों, लेकिन इस बार शहरी निकाय मंत्री के नाते पावर जब उनके हाथ में है तो उन्होंने फाइल पर कलम चला दी।

शहरी निकाय मंत्री अनिल विज ने निकाय चुनाव को लेकर विधानसभा में पारित संशोधन विधेयक की   अधिसूचना जारी करने में अड़ंगा लगा दिया। नगर पालिका और परिषदों के चेयरमैन व चेयरपर्सन के सीधे चुनाव के लिए फाइल विज के पास पहुंची थी जिस पर उन्होंने प्रतिकूल टिप्पणी कर दी। उन्होंने फाइल पर लिख दिया कि यह लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली के मूल सिद्धांत के खिलाफ है। अगर यह सिस्टम शुरू करना भी है तो इसे शीर्ष स्तर से शुरू किया जाए। इस टिप्पणी के बाद से महकमे के अफसरों व सरकार में हड़कंप हैं।

शहरी निकाय मंत्री विज के इस रुख के तुरंत बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्टैंड ले लिया। कैथल में किसानों से रूबरू होने के बाद जब उनसे जवाब किया गया तो मनोहर लाल ने दो टूक कहा कि यह सरकार है। यहां किसी एक मंत्री की राय से नहीं बल्कि पूरी सरकार की सहमति से फैसले होते हैं। मुख्यमंत्री के इस जवाब में कई तरह के संदेश छिपे हैं। सीआइडी विवाद अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि नया बखेड़ा शुरू हो गया। गृह मंत्री अनिल विज से सरकार ने सीआइडी वापस लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंप दी। अब उनका विवाद आजकल शराब घोटाले की जांच को लेकर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से चला हुआ है।

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'सीधे चुनाव से पार्षदों की पावर घटेगी, मेयर करेंगे मनमानी'

'' यह बात सही है कि मैं पिछली बार उस कमेटी का चेयरमैन था, जिसे यह सिफारिश करनी थी कि चेयरमैन व मेयर के चुनाव सीधे होने चाहिए या नहीं। कार्यकाल को लेकर भी राय जाहिर करनी थी। हर चीज बताने की नहीं होती। मैं यह बात मीडिया में क्यों बताऊं कि मैंने क्या सिफारिश की थी। यह फाइलों की बात होती है, लेकिन मेरी अगर व्यक्तिगत राय कोई जानना चाहे तो मैं सीधे चुनाव के हक में नहीं हूं, क्योंकि इससे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन होता है। मेयर खुद को विधायक के समान समझने लगेंगे। पार्षदों की कोई पूछ नहीं होगी। पूरे पांच साल तक मेयर मनमानी कर सकता है। उसे कोई हटा नहीं सकता। भले ही उस पर कितने भी आरोप लगे। लोकतंत्र में अगर कोई फैसला गलत हो जाए तो उसे बाद में रिव्यू करना चाहिए। निकायों में सीधे चुनाव सही नहीं हैं। इस पर फिर से विचार होना चाहिए।

                                                                                   - अनिल विज, शहरी निकाय मंत्री, हरियाणा।

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'हम सामूहिक फैसले लेते हैं, मंत्री के हिसाब से नहीं'

''शहरी निकायों के चुनाव सीधे ही होंगे। हम सभी फैसले सामूहिक तौर पर मिलकर लेते हैं, एक मंत्री के हिसाब से यहां फैसले नहीं होते। पांच निगमों में मेयर के सीधे चुनाव कराए भी जा चुके हैं।

                                                                                                  - मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा। 

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