बरोदा उपचुनावः भूपेंद्र हुड्डा ने दी सीएम मनोहर लाल को चुनौती, बोले- आ जाएं मैदान में; हो जाए फैसला

कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चुनौती दी है। हुड्डा ने कहा कि सीएम बरोदा से चुनाव मैदान में आ जाएं। मैं भी उनके समक्ष चुनाव लड़ूंगा।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 02:35 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 02:35 PM (IST)
बरोदा उपचुनावः भूपेंद्र हुड्डा ने दी सीएम मनोहर लाल को चुनौती, बोले- आ जाएं मैदान में; हो जाए फैसला
बरोदा उपचुनावः भूपेंद्र हुड्डा ने दी सीएम मनोहर लाल को चुनौती, बोले- आ जाएं मैदान में; हो जाए फैसला

सोनीपत, संजय निधि। नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बरोदा उपचुनाव काे लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल चुनौती देते हुए कहा कि चाहें तो मुख्यमंत्री खुद बरोदा से चुनाव मैदान में आएं, वे खुद उनके समक्ष चुनाव लड़ेंगे। यहीं फैसला हो जाएगा। हुड्डा रविवार को एक निजी बैंक्वेट हॉल में कार्यकर्ताओं से रूबरू होने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। एक दिन पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा बरोदा हल्के में दिए गए सरकार में हिस्सेदारी वाले बयान पर पलटवार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कि यहां की जनता स्वाभिमानी है और वे सरकार के भ्रष्टाचार व अपराध में हिस्सेदारी नहीं करेगी।

एक सवाल के जवाब में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस तरह का गैरजिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए। वे तो पूरे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और जनता की भागीदारी से ही उनकी सरकार है। इस तरह लोगों को सरकार में हिस्सेदारी का प्रलोभन देना उचित नहीं है। उन्होंने हिस्सेदारी वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आखिर मुख्यमंत्री किस चीज में हिस्सेदारी देना चाहते हैं। सरकार ने अब तक विकास के एक भी काम तो कराए नहीं। हां, प्रदेश में भ्रष्टाचार और अपराध चरम पर है और इसमें जनता हिस्सेदारी चाहती नहीं है। जहां तक बरोदा की बात है तो यदि इस तरह से वे जनता को बरगला सकते हैं तो चुनाव मैदान में आ जाएं। उनके समझ मैं खुद चुनाव लड़ने को तैयार हैं। वैसे तो विधानसभा चुनाव अब 2024 में होना है, लेकिन इसी उपचुनाव में फैसला हो जाएगा।

सरकार अपने में संगठित नहीं, तालमेल का भी अभाव

भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि यह नाजुक दौर है। कोरोनाकाल में सबको संगठित होकर मुकाबला करना चाहिए। इसको लेकर प्रदेश में हुई पहली बैठक में उन्होंने हरसंभव सहयोग का वादा किया था। इसका मतलब ये नहीं कि सरकार जनविरोधी फैसला लेगी और विपक्ष चुप बैठेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीजल-पेट्रोल के भाव लगातार कम हो रहे हैं, लेकिन यहां सरकार दाम बढ़ाकर गरीबों, किसानों के कमर तोड़ रही है। सरकार विपक्ष से तो दूर आपस में ही संगठित नहीं है। इनका आपस में कोई तालमेल नहीं है। खरखौदा शराब घोटाले की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गृहमंत्रीने एसआइटी बनाने की बात कही थी, जबकि बाद में एसईटी बन गई और उसकी जांच का भी क्या हुआ पता नहीं। यह घोटाला कितना बड़ा था, सब जानते हैं।

यहां इकोनॉमिक फासिज्म है

नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार में अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से चौपट होकर रह गई है। इसे उन्होंने इकोनॉमिक फासिज्म की संज्ञा देते हुए कहा कि अभी राहत के बजाय लोगों से वसूली की जा रही है। डीजल-पेट्रोल पर कोरोना सेस व जीएसटी बढ़ाकर करीब 18 फीसद कर दिया गया है, जबकि उनके कार्यकाल में यह 9.24 फीसद था। डीजल के रेट बढ़ाना और फसलों पर कोई बोनस नहीं देना किसानों पर दोहरी मार है।

5सी की चपेट में सरकार

केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि वर्तमान में सरकार 5सी की चपेट में है और गलत आर्थिक-सामाजिक नीतियों के कारण इससे निकल नहीं पा रही है। उन्होंने 5सी का मतलब समझाते हुए कहा कि सी मतलब चीन, कोरोना, करप्शन, क्राइम और कास्टिज्म। सरकार संवेदनशील नहीं है, कोरोना के कारण हर वर्ग सरकार की गलत नीतियों के कारण त्रस्त है।

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