आपराधिक मानहानि मामले में नैनीताल सीएजेएम कोर्ट ने किया दोषमुक्त

बिशन द्वारा गलत तथ्यों को आधार बनाकर मानहानि करने व बदनाम करने की नियत से शिकायत की गई। पुलिस द्वारा मामले की जांच की तो भगोत जंतवाल के खिलाफ शिकायत सही नहंी पाई गई। भगोत का कहना था कि एक ही गांव में रहने के कारण बिशन बैरभाव रखता है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 26 Aug 2021 11:49 PM (IST) Updated:Thu, 26 Aug 2021 11:49 PM (IST)
आपराधिक मानहानि मामले में नैनीताल सीएजेएम कोर्ट ने किया दोषमुक्त
परिवादी ऐसे व्यक्ति को कोर्ट में पेश करने में असफल रहा है, जिसे आरोपित द्वारा शिकायत की जानकारी हो।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : सीजेएम मनींद्र मोहन पांडे की कोर्ट ने मानहानि के मामले में बेतालघाट के धारी निवासी बिशन जंतवाल को आपराधिक मानहानि के आरोप से दोषमुक्त करार दिया है। 

भगोत जंतवाल मूल निवासी धारी, हाल निवासी क्लर्क क्वाटर नैनीताल ने सीजेएम कोर्ट मेें बिशन के खिलाफ वाद दाखिल किया था, जिसमें कहा था कि विपक्षी विशन द्वारा 31 जुलाई 2018 को समाधान पोर्टल में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में लोनिवि कर्मचारी होने के नाते भगोत पर गंभीर आरोप लगाए। यह शिकायत मुख्य अभियंता लोनिवि को प्रेषित की गई थी। आरोप था कि बिशन द्वारा गलत तथ्यों को आधार बनाकर मानहानि करने व बदनाम करने की नियत से शिकायत की गई। पुलिस द्वारा मामले की जांच की तो भगोत जंतवाल के खिलाफ शिकायत सही नहंी पाई गई। भगोत का कहना था कि  एक ही गांव में रहने के कारण बिशन बैरभाव रखता है। उसका परिवार नैनीताल में सरकारी कार्यालय में रहता है। शिकायत से उसकी कार्यालय, विभाग व सामाजिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा धूमिल हुई है।

परिवादी का कहना था कि विभागीय जांच में क्लीन चिट मिल गई थी लेकिन कोर्ट में पत्रावली दाखिल नहीं कर पाए। कोर्ट ने 12 पेज के आदेश में टिप्पणी की है कि कोई लांछन किसी व्यक्ति की ख्याति की अपहानि करने वाला नहीं कहा जाता, जब तक कि वह लांछन दूसरों की दृष्टिï में उस व्यक्ति के बौद्धिक स्वरूप को हेय न करे, उसकी जाति, आजीविका के संबंध में शील को हेय न करे, व्यक्ति की साख न गिराए या यह विश्वास कराए कि उस व्यक्ति का शरीर घृणोत्पादक दशा मेें है या ऐसी दशा में है, जो साधारण रूप से निकृष्टï समझी जाती है। कोर्ट ने कहा कि परिवादी ऐसे व्यक्ति को कोर्ट में पेश करने में असफल रहा है, जिसे आरोपित द्वारा समाधान पोर्टल में की शिकायत की जानकारी हो और उसकी नजर में परिवादी की प्रतिष्ठा धूमिल हुई हो।

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