सरना धर्म कोड के नाम पर आदिवासी संगठनों का दिल्ली में छह और सात द‍िसंबर को जुटान

द‍िल्‍ली दस्‍तक के नाम से इस बार आद‍िवासी समुदाय के लोग द‍िल्‍ली में एकत्र हो रहे हैं। छह द‍िसंबर को प्रतिनिधि सभा होगी। सात द‍िसंबर को जंतर-मंतर पर सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर सत्याग्रह का कार्यक्रम प्रस्‍ताव‍ित है। इसमें झारखंड समेत कई राज्‍यों से आद‍िवासी पहुंचेंगे।

By M EkhlaqueEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 02:41 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 02:41 PM (IST)
सरना धर्म कोड के नाम पर आदिवासी संगठनों का दिल्ली में छह और सात द‍िसंबर को जुटान
सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर इस बार द‍िल्‍ली में जुटान। जागरण

राज्य ब्यूरो, रांची : वर्ष-2021 की जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग सरना धर्म कोड कालम की मांग को लेकर राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के बैनर तले विभिन्न आदिवासी संगठनों का दिल्ली में जुटान हो रहा है। इसमें दिल्ली सरना समाज की भी मदद मिल रही है। छह और सात दिसंबर को आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि नई दिल्ली में एकजुट होकर अलग सरना धर्म कोड के लिए केंद्र पर दबाव बनाएंगेे।

सरना धर्म कोड की मांग कर रहे आदिवासी संगठनों ने इस आंदोलन का नाम दिल्ली दस्तक रखा है। इसके तहत सोमवार छह दिसंबर को गांधी पीस फाउंडेशन में संगठन के प्रतिनिधि सभा की बैठक होगी। इसके बाद सात दिसंबर को जंतर-मंतर पर सत्याग्रह होगा।

झारखंड के प्रतिनिधिमंडल में शामिल डा. करमा उरांव ने बताया कि सत्याग्रही महिलाओं और पुरुषों को आदिवासियों के पारंपरिक परिधान में दिल्ली पहुंचने को कहा गया है। महिलाएं लाल पाड़ की साड़ी और पुरुष प्रतिनिधि सफेद शर्ट, सरना गमछा और सफेद धोती में कार्यक्रम में भाग लेंगे। सभी को सत्याग्रह मेंं सरना झंडा भी साथ लाने को कहा गया है।

झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में एक साल पहले ही आदिवासी सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित हो चुका है। अब विभिन्न आदिवासी संगठन केंद्र सरकार पर इसे लागू करने के लिए दबाव बनाने की रणनीति में जुटे हैं। इनकी मांग है कि सरना धर्म को मानने वाले प्रकृति के पूजक हैं। इन्हें जनगणना के कालम में अलग धर्म के रूप में चिन्हित किया जाना चाहिए। पूर्व में इसका प्रविधान था।

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