Agriculture Bill: संसद में पारित होने से पहले ही महाराष्ट्र में लागू हो गया था कृषि बिल
Agriculture Bill केंद्र सरकार के संसद में बिल पारित करने से छह हफ्ते पहले ही महाराष्ट्र में कृषि बिल लागू कर दिया था लेकिन फिर भी वह संसद में और संसद के बाहर भी इसके खिलाफ हंगामा करते रहे।
मुंबई, आइएएनएस। Agriculture Bill: शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन वाली महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी के जरिये संसद के मानसून सत्र में पारित कृषि बिल का विरोध कर रहे विपक्ष की खोखली राजनीति तो उजागर हो गई है। राज्य में इस गठबंधन के लिए बड़ी हास्यास्पद स्थिति हो गई है। चूंकि महाराष्ट्र सरकार ने यह अध्यादेश पिछले हफ्ते संसद में कृषि बिल पारित होने से पहले अगस्त में ही राज्य में लागू कर दिया था। दरअसल, महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार ने विगत 10 अगस्त को ही मार्केटिंग के डायरेक्टर सतीश सोनी के जरिये अधिसूचना जारी की थी कि राज्य में प्रस्तावित कानून के तीनों अधिनियमों को सख्ती से लागू किया जाए।
इसके जरिये सभी कृषि उत्पादों, पशुधन मंडी समितियों (एपीएमसी) और कृषि जिला सहकारी समितियों को आदेश जारी करके किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (प्रचार व सुविधा) अधिनियम 2020, किसान (सशक्तिकरण व संरक्षण) आश्वासन व किसान सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को लागू किया गया है। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस गठबंधन की सरकार महाराष्ट्र में यह कानून लागू कर चुकी है। केंद्र सरकार के संसद में बिल पारित करने से छह हफ्ते पहले ही महाराष्ट्र में इसे लागू कर दिया था, लेकिन फिर भी वह संसद में और संसद के बाहर भी इसके खिलाफ हंगामा करते रहे।
सतीश सोनी से संपर्क करने पर उन्होंने इन विधेयकों के लिए अधिसूचना जारी करने की पुष्टि की। हालांकि इसे लेकर जारी राजनीतिक खींचतान पर उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इस संबंध में जब राज्य के मार्केटिंग मंत्री और राकांपा नेता बाला साहेब शर्मा पाटिल ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। पाटिल ने इतना जरूर कहा कि आदेश जारी हुआ था, लेकिन अब हालात अलग हैं जब उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने हाल ही में कहा कि इस बिल को राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। पवार ने विगत 26 सितंबर को पुणे में कहा था कि इस बिल का विरोध राज्य और देश के सभी किसान कर रहे हैं। इसलिए इस पर अंतिम निर्णय लेने से पहले सरकार विशेषज्ञों से राय लेगी।