हाजी मस्तान के बेटे ने कहा, करीम लाला से मिलती थीं इंदिरा गांधी, जानें पूरी कहानी
अंडरवर्ल्ड के डॉन हाजी मस्तान के दत्तक पुत्र ने कहा कि शिवसेना नेता संजय राउत ने ठीक कहा है। इंदिरा गांधी डॉन करीम लाला से मिली थीं।
मुंबई, एएनआइ। शिवसेना सांसद संजय राउत के बयान पर उठे विवाद के बीच अब अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान के दत्तक पुत्र सुंदर शेखर ने भी कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी करीम लाला से मिला करती थीं। शेखर ने एएनआइ से कहा कि संजय राउत सही हैं। इंदिरा गांधी करीम लाला से मिला करती थीं। कई और नेता भी मिलने जाते थे। बालासाहेब ठाकरे भी हाजी मस्तान के अच्छे मित्र थे।
दूसरी तरफ, वरिष्ठ अपराध पत्रकार बलजीत परमार ने कहा कि करीम लाला का कांग्रेस पार्टी या इंदिरा गांधी के साथ कोई संबंध नहीं था। परमार ने बताया कि दोनों के बीच सिर्फ एक बार मुलाकात हुई थी। 1973 में प्रसिद्ध अभिनेता और पटकथा लेखक हरींद्रनाथ चट्टोपाध्याय पद्म भूषण प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति भवन गए थे। उस समय वह करीम लाला को अपने सहायक के रूप में ले गए थे। उन दिनों अपने साथ दो सहयोगी ले जाने की अनुमति थी।
समारोह के बाद चट्टोपाध्याय ने करीम लाला का परिचय इंदिरा गांधी से करवाया। उसे पश्तूनों के एक धड़े के नेता के रूप में पेश किया गया था। परमार ने कहा कि दोनों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि दोनों के बीच हुई मुलाकात की तस्वीर, जिसमें चट्टोपाध्याय भी मौजूद थे, को विख्यात अभिनेता ने अंडरवर्ल्ड डॉन को दिया था।
परमार ने कहा कि 1993 में मैंने करीम लाला का साक्षात्कार लिया था। पहला सवाल ही मैंने इंदिरा गांधी के साथ संबंधों को लेकर पूछा था, क्योंकि उसके एलबम में मैंने दोनों की तस्वीर देखी थी। इसके जवाब में उसने बताया कि संयोग से सिर्फ एक बार दोनों की भेंट हुई है।
उल्लेखनीय है कि राउत ने बुधवार को दावा किया था कि इंदिरा गांधी अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मुंबई में मिला करती थीं। उन्होंने कहा कि एक समय था जब दाऊद इब्राहीम, छोटा शकील, शरद शेट्टी तय किया करते थे कि मुंबई का पुलिस आयुक्त कौन होगा और मंत्रालय में कौन बैठेगा। हमने अंडरवर्ल्ड का वह दौर देखा है। अब यह सिर्फ चिल्लर है।
हालांकि, शिवसेना नेता ने गुरुवार को अपनी टिप्पणी यह कहते हुए वापस ले ली कि अगर किसी को लगता है कि उनके बयान से इंदिरा गांधी की छवि को चोट पहुंची है या भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो वह अपनी टिप्पणी वापस लेते हैं। उल्लेखनीय है कि लाला दो दशक से अधिक समय तक मुंबई में तस्करी, नशीले पदार्थों, जुआ, जबरन संपत्ति बेदखली और जबरन वसूली रैकेट में शामिल था। 2002 में 90 वर्ष की आयु में उसका निधन हो गया।
दुनियाभर के नेताओं के साथ था करीम लाला का संपर्क : शिवसेना
शिवसेना ने कहा है कि करीम लाला 1961 के दशक में खान अब्दुल खफ्फार खान के संगठन खुदाई खिदमतगार के लिए काम करता था। इसलिए उसका संपर्क कई पार्टियों के नेताओं से था। शिवसेना के मुखपत्र सामना के शुक्रवार के अंक में कहा गया है कि लाला दुनियाभर के पठानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए काम करता था। इसलिए दुनियाभर के नेताओं के साथ उसका संपर्क था। उसके दफ्तर में उन नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें भी थीं। भाजपा नेताओं ने उन तस्वीरों को देखा होता, तो वे इंदिरा गांधी पर कोई टिप्पणी नहीं करते।
जार्ज को हराने के लिए हाजी मस्तान से मिले थे एसके पाटिल : जदयू
नेताओं और अंडरवर्ल्ड माफिया के बीच संबंधों को लेकर उठे विवादों के बीच जदयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा है कि 1967 के चुनाव में जार्ज फर्नाडिस को हराने के लिए कांग्रेस नेता एसके पाटिल हाजी मस्तान से मिले थे। त्यागी ने कहा कि राजनेताओं और अंडरवर्ल्ड डॉन के बीच हमेशा संबंध रहे हैं। राउत भले ही अपने बयान से पीछे हट गए हैं। लेकिन, एक बार जो कह दिया गया, उसे वापस नहीं लिया जा सकता है।
ये है करीम लाला की कहानी
करीम लाला का असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था। करीब का जन्म अफगानिस्तान में हुआ था। मूल रूप से वह पश्तून था। बड़े होने पर जब उसको काम धंधे की दरकार हुई तो उसने भारत की राह पकड़ी थी। 1930 में वह पेशावर से होते हुए मुंबई पहुंचा था। यहां पर उसने शुरुआत में छोटे-मोटे काम किए थे। लेकिन जल्द से जल्द ज्यादा पैसा कमाने की चाहत ने उसको अपराध की दुनिया की तरफ धकेल दिया था। आजादी के बाद करीम लाला मुंबई का बड़ा नाम बन चुका था। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अपना काम निकलवाने के लिए लोग सुबह से ही उसके पास आना शुरू कर देते थे। करीम लाला के साथ ही वरदाराजन और हाजी मस्तान भी अंडरवर्ल्ड में अपना राज कायम किया था।
दाऊद-करीम में गैंगवार
एक समय ऐसा भी आया, जब इन तीनों ने आपस में धंधों को बंटवारा कर लिया। इसकी एक वजह गैंगवार को खत्म करना था। इतना ही नहीं, इन तीनों ने अपने-अपने इलाके भी बांट लिए थे। इस दौर में दाऊद इब्राहिम ने भी अपराध की दुनिया में कदम रखा था। दाऊद ने इसकी शुरुआत हाजी मस्तान के साथ मिलकर की थी। एक बार दाऊद करीम के हत्थे चढ़ गया और उसने उसकी जबरदस्त पिटाई लगाई थी। दाऊद ने किसी तरह से बचकर अपनी जान बचाई थी। दोनों के बीच कई बार गैंगवार हुआ। इसका नतीजा था कि 80 के दशम में करीम ने जहां दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या करवाई वहीं दाऊद ने करीम के भाई रहीम को ठिकाने लगा दिया था।
भतीजे को सौंपी थी गैंग की कमान
80 के दशक की शुरुआत में करीम ने सेहत में आई गिरावट के चलते गैंग की कमान भतीजे समद खान को सौंप दी थी। वह करीम का होटल और ट्रांसपोर्ट का बिजनेस संभालता था। करीम की पार्टियां एक समय में मुंबई में सबसे अधिक प्रचलित हुआ करती थीं। उस वक्त करीम की पार्टी में बॉलीवुड से जुड़ी बड़ी हस्तियां तक शामिल होते थे। बॉलीवुड की फिल्म जंजीर में शेर खान का किरदार जिसको प्राण ने जीवंत किया था, करीम से ही मिलता जुलता था। 2002 में करीम की मौत 90 वर्ष की आयु में 19 फरवरी को मुंबई में हुई थी।