Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट और गहलोत की लड़ाई में वसुंधरा राजे की चुप्पी पर चर्चा तेज

सचिन पायलट और गहलोत की लड़ाई में वसुंधरा राजे की चुप्पी पर चर्चा तेज-सीएम सहित कांग्रेस नेताओं ने भाजपा के प्रदेश नेतृत्व पर उठाए सवाल

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 09:07 AM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 09:07 AM (IST)
Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट और गहलोत की लड़ाई में वसुंधरा राजे की चुप्पी पर चर्चा तेज
Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट और गहलोत की लड़ाई में वसुंधरा राजे की चुप्पी पर चर्चा तेज

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में पिछले 25 दिन से सियासी संग्राम चल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे सियासी संग्राम को काबू में करने के लिए पार्टी के कुछ नेता आगे आए हैं। हालांकि सीएम गहलोत सहित कई कांग्रेसी नेताओं ने सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायकों के समक्ष माफी की शर्त रखी गई है। कांग्रेस में इसी असमंजस के हालात के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज भाजपा नेता वसुंधरा राजे की चुप्पी को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

कांग्रेस के आंतरिक कलह को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिसा सहित कई स्थानीय नेता सीएम गहलोत पर निशाना साध रहे हैं। प्रदेश भाजपा के नेताओं को उम्मीद है कि गहलोत सरकार गिरी तो उन्हे ही सत्ता में आने का मौका मिलेगा। ये नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। लेकिन न वसुंधरा राजे ने पूरे प्रकरण से दूरी बनाए रखी। हालांकि उन पर एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल गहलोत के साथ सांठगांठ का आरोप लगाते रहे हैं।

हालांकि वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर पिछले दिनों कहा था कि वे पार्टी और विचारधारा के साथ खड़ी हैं । लेकिन जब केंद्र से लेकर राज्य स्तर तक के भाजपा नेता लगातार कांग्रेस को घेरते रहे तो वसुंधरा राजे ने पूरी तरह चुप्पी बनाए रखी। उधर वसुंधरा राजे की चुप्पी पर कांग्रेस खुश है।

सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि वसुंधरा राजे बड़ी नेता है। वसुंधरा राजे से टक्कर लेने के चक्कर में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया व विपक्ष के उप नेता सरकार गिराने की साजिश में जुटे हैं। वहीं प्रदेश के उर्जा मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला का कहना है कि वसुंधरा राजे को कमजोर करने के लिए भाजपा का एक गुट जुटा है। लेकिन ये वसुंधरा राजे का मुकाबला नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को गिराकर भाजपा का वर्तमान प्रदेश नेतृत्व खुद सत्ता में आना चाहता है। भाजपा का प्रदेश नेतृत्व वसुंधरा राजे को साइडलाइन करना चाहता है।

पार्टी के मौजूदा हालता से खुश नहीं है वसुंधरा राजे

सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे भाजपा के मौजूदा हालात से खुश नहीं है। दो दिन पहले गठित हुई कार्यकारिणी में अपने विश्वस्तों के बजाय मदन दिलावर व दीया कुमारी जैसे विरोधियों को जगह देने से वसुंधरा की नाराजगी पहले से अधिक बढ़ी है। साल, 2018 में गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाने को लेकर वसुंधरा राजे का भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ टकराव हुआ था।

मुख्यमंत्री रहते हुए वसुंधरा राजे ने अपने मंत्रिमंडल के आधा दर्जन सदस्यों व कई विधायकों को दिल्ली भेजकर शेखावत को अध्यक्ष नहीं बनाए जाने को लेकर लॉबिंग कराई थी। उसमें वे सफल भी रही और शेखावत अघ्यक्ष नहीं बन सके। विधानसभा के पिछले चुनाव में पार्टी की हार के बाद वसुंधरा को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। लेकिन वसुंधरा राजे का मन राष्ट्रीय राजनीति के बजाय प्रदेश की राजनीति पर ही है। मौजूदा हालात में उनकी चुप्पी

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