कोरोना संक्रमण ने डराया तो खूब, लेकिन लोगों को इससे लड़ना और जीना भी सिखाया

आहार व्यवहार व परिवार सभी में संतुलन साधना सीख गए। सितंबर में संक्रमण के साथ बढ़ रहा रिकवरी रेट। आहार व्यवहार और परिवार में संतुलन साधना सीखकर कोरोना को हराने की कोशिश का नतीजा है कि सितंबर में तेजी से संक्रमण के साथ ही रिकवरी रेट भी बढ़ रहा है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 05:19 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 05:20 PM (IST)
कोरोना संक्रमण ने डराया तो खूब, लेकिन लोगों को इससे लड़ना और जीना भी सिखाया
कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ा तो लड़ने को सफाई और स्वास्थ्य सेवा भी बढ़ी।

हरदोई, जेएनएन। कोरोना संक्रमण ने डराया तो खूब, लेकिन लोगों लड़ना और जीना भी सिखा दिया। लोगों की दिनचर्या बदली। बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ी, आपदा में अवसर तलाशना शुरू किया। अब सब कुछ अनलॉक हो गया, पर संक्रमण बढ़ता जा रहा है और बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक उससे लड़कर आगे बढ़ रहे हैं। 23 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुआ था और एक अप्रैल को जिले में पहला कोरोना संक्रमित मरीज मिला था। फिर धीरे धीरे संक्रमण बढ़ता गया। शुरू में लोगों में खौफ बड़ा फिर धीरे धीरे लोग कोरोना से लड़ते हुए आगे बढ़ने लगे। लॉकडाउन खत्म हो गया और आठ जून को शुरू हुए अनलॉक के चार चरणों में हट गया और जिंदगी पटरी पर आने लगी। इन छह महीनों में कभी दूर और कभी पास आकर डराने वाले कोरोना से हरदोई समेत पूरे देश की जंग जारी है। आहार, व्यवहार और परिवार में संतुलन साधना सीखकर कोरोना को हराने की कोशिश का नतीजा है कि सितंबर में तेजी से संक्रमण के साथ ही रिकवरी रेट भी बढ़ रहा है।

सुबह योग से शुरू खान-पान भी हुआ संतुलित :

बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बहुत जरूरी है। कोरोना ने इसे साबित कर दिया। कोरोना से बचने और लड़ने के लिए लोगों ने प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खानपान तक बदल लिया। पौष्टिक और प्रोटीनयुक्त आहार के लिए हरी सब्जियां, फल और दूध का सेवन बढ़ा तो तुलसी, गिलोय, काली मिर्च, दालचीनी आदि के काढ़े का भी प्रयोग शुरू हो गया। सर्दी, बुखार को कमजोर आंकने की भूल भी बंद हो गई और टेलीमेडिसिन सेवा से लोग डॉक्टर से घर बैठे परामर्श और सावधानी बरत रहे हैं।

संक्रमण बढ़ा तो लड़ने को सफाई और स्वास्थ्य सेवा बढ़ी :

हरदोई में कोरोना संक्रमण का पहला केस एक अप्रैल को मिला। मई में जब हरियाणा, दिल्ली, गुजरात व अन्य राज्यों से लोग घर लौटने लगे तो कोरोना की रफ्तार बढ़ी और संख्या 61 तक पहुंच गई। जुलाई और अगस्त में कोरोना ने तेजी से पैर पसारे और संख्या 25 सौ के पार हो गई। इससे ढरे सहमे लोगों ने फिर सतर्कता बरती और शारीरिक दूरी, बाहर से आने पर स्नान, साबुन से हाथ धोना, मास्क और सैनिटाइजर को अपनी आदत बना लिया, लेकिन इसके बाद भी संक्रमण नहीं थम रहा है। जिसका नतीजा यह रहा है कि सितंबर में पिछले पांच माह का रिकॉर्ड टूट गया। 24 दिनों में ही 1483 संक्रमितों और 38 की मौत हो गई।

घर बैठे ही शुरू हो गई पढ़ाई:

जिस मोबाइल को पढ़ाई का दुश्मन माना, कोरोना से जंग में यह पढ़ाई का कारण बन गया। ऑनलाइन क्लासेस शुरू हुई। पढ़ने की इस नई विद्या ने हरदोई ने बढ़-चढ़कर भागीदारी की और शिक्षकों ने अभिभावकों की मदद से बच्चों को शिक्षित किया। यू-ट्यूब, गूगल क्लासरूम, गूगल मीट अप्लीकेशन से पढ़ाई भी हो सकती है लोगों ने यह जाना। शहर छोड़ गांवों में उठाया फावड़ारोजगार की तलाश में लोग शहरों की तरफ भागते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण ने लोगों को गांवों की कीमत समझा दी। शहरों से लोग गांवों की तरफ लौटे और रोजगार तलाशे। देखें तो मनरेगा में ही 25 फीसद अधिक सात लाख 17 हजार सात हजार 25 मानव दिवस स्रजित हुए। मनरेगा में 47 हजार 670 श्रमिक काम कर रहे हैं। जोकि बिना किसी संकोच के फावड़ा उठा रहे हैं। 

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