जेपी नड्डा: BJP के नए अध्‍यक्ष की जन्‍मभूमि रहा बिहार, यहीं लिखी गई उनकी सियासी तकदीर

बीजेपी के नए अध्‍यक्ष जेडी नड्डा ने बतौर एबीवीपी कार्यकर्ता बिहार से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। बिहार उनकी राजनीति की शुरुआती कर्मभूमि रही।

By Amit AlokEdited By: Publish:Tue, 21 Jan 2020 10:14 AM (IST) Updated:Tue, 21 Jan 2020 06:37 PM (IST)
जेपी नड्डा: BJP के नए अध्‍यक्ष की जन्‍मभूमि रहा बिहार, यहीं लिखी गई उनकी सियासी तकदीर
जेपी नड्डा: BJP के नए अध्‍यक्ष की जन्‍मभूमि रहा बिहार, यहीं लिखी गई उनकी सियासी तकदीर

पटना [रमण शुक्ला]। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 11वें राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) चुने गए जेपी नड्डा (JP Nadda) का बिहार से गहरा रिश्ता है। पटना उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि भी है। उनकी सियासी यात्रा की शुरुआत चाणक्य की धरती पाटलिपुत्र से ही हुई। यही वजह है कि बिहार छोडऩे के बाद भी नड्डा का इस भूमि से गहरा लगाव है।

अस्‍सी के दशक में एबीवीपी से जुड़े

अस्सी के दशक में पटना कॉलेज में पढ़ाई करते हुए नड्डा पहली बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की ओर आकर्षित हुए थे। तब उन्हें भी आभास नहीं होगा कि एक दिन उनके हाथ में दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की कमान होगी।

पटना में बचपन के अनुभव किए थे साझा

पटना से एबीवीपी कार्यकर्ता के तौर पर राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले नड्डा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर ताजपोशी से बिहार के बीजेपी नेताओं में खुशी की लहर है। पांच नंवबर को बतौर कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष पटना दौरे पर आए नड्डा ने पाटलिपुत्र की धरती पर होश संभालने से लेकर कॉलेज जीवन तक का अनुभव साझा किया था।

कैलाशपति मिश्र से किया था ये सवाल

बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे कैलाशपति मिश्र की पुण्यतिथि समारोह में नड्डा ने अपने बचपन का जिक्र करते हुए कहा था कि कैलाशपति मिश्र मेरे पिताजी से मिलने घर आते थे। मैंने उनसे पूछा कि आप ऐसी पार्टी के लिए प्रचार क्यों करते हैं जिसके बारे में लोग कहते हैं कि कुछ सौ वोट ही आएंगे। एक-दो विधायक ही जीतेंगे। मिश्र ने मुझे जवाब दिया था कि चुनाव जीतना उद्देश्य नहीं है। मुझे घर-घर तक जनसंघ के दीपक को पहुंचाना है। जनसंघ से बनी बीजेपी आज घर-घर तक पहुंच चुकी है।

कहा: राजनीति में बाई च्‍वाइस आया था

यही नहीं, नड्डा ने स्वयं के बीजेपी से जुडऩे का जिक्र करते हुए कहा था कि राजनीति में तीन तरह के लोग आते हैं। कोई बाइचांस आता है, कोई बाइ च्वाइस आता है और कोई बाइ एक्सीडेंट आता है। मैं बाइ च्वाइस पटना में एबीवीपी से जुड़ा था। जब मैं पटना एवीबीपी में था तो मित्रों ने कहा कि बिना जाति की राजनीति नहीं हो सकती है। जब मैं हिमाचल गया तो कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पावर के बिना राजनीति नहीं हो सकती है। कांग्रेस में आ जाओ। राजनीति में जब मैं दिल्ली पहुंचा तो वामपंथियों ने कहा कि लाल क्रांति के बिना कुछ नहीं हो सकता है। लेकिन मैं अपने निर्णय पर अडिग रहा। आज बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है।

कांग्रेसियों ने दिखाए थे सुनहरे सपने

जेपी नड्डा की स्कूली पढ़ाई पटना के सेंट जेवियर स्कूल, राममोहन राय सेमिनरी और पटना कॉलेज में हुई थी। वे इसे अब भी शिद्दत से याद करते हैं। बिहार के नेताओं से मुलाकात के दौरान नड्डा अपने छात्र जीवन का राजनीतिक अनुभव अक्सर गर्व के साथ साझा करते हैं। उन्होंने कई बार यह भी दोहराया है कि उन्हें कांग्रेस में शामिल करने के लिए बिहार से हिमाचल तक कांग्रेसियों ने सुनहरे सपने दिखाए थे।

पटना विव‍ि में प्रोफेसर थे नड्डा के पिता

दरअसल, हिमाचल प्रदेश के विलासपुर निवासी जेपी नड्डा के पिता एनएल नड्डा पटना विश्वविद्यालय में कॉमर्स विभाग में प्रोफेसर थे। उन्होंने विभागाध्यक्ष और फिर प्राचार्य की कुर्सी भी संभाली थी। 1980 में पटना विश्वविद्यालय की सेवा से रिटायर होने के कुछ वर्ष बाद नड्डा परिवार अपने गृह राज्य हिमाचल लौट गया था।

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