Bihar Assembly Election: विरासत की हिफाजत के लिए संघर्ष कर रहे तेजस्वी व चिराग, निर्णायक होगा विधानसभा चुनाव

Bihar Assembly Election बिहार की राजनीति में तेजस्‍वी यादव व चिराग पासवान अपने-अपने पिता की राजनीतिक पाठशाला से निकले हैं। अब वे उनकी विरासत संभालने के लिए संषर्घ की राह पर हैं।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 08:26 PM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 10:50 PM (IST)
Bihar Assembly Election: विरासत की हिफाजत के लिए संघर्ष कर रहे तेजस्वी व चिराग, निर्णायक होगा विधानसभा चुनाव
Bihar Assembly Election: विरासत की हिफाजत के लिए संघर्ष कर रहे तेजस्वी व चिराग, निर्णायक होगा विधानसभा चुनाव

पटना, अरविंद शर्मा। Bihar Assembly Election: बिहार की राजनीति के दो बड़े खिलाडि़यों के उत्तराधिकारी अपने पिता की विरासत को विस्तार देने की मुहिम में हैं। विधानसभा चुनाव दोनों के लिए निर्णायक साबित होने वाला है। कामयाब हुए तो खुला आसमान मिलेगा। चूक गए तो पिता की उम्मीदों को झटका लगना तय है। राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) के भविष्य तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के पिता लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) के पिता रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) को जेपी आंदोलन की उपज माना जाता है। दोनों एक साथ पनपे और फैले। उनके पुत्रों के भी पलने और फैलने का समय भी एक ही है। क्यारियां अलग-अलग हैं, किंतु मिट्टी, मौसम और मुहूर्त में कोई फर्क नहीं है।

पिता की पाठशाला से निकल सीधे कर्मशाला कर गए प्रस्थान

राजनीति में आने और छाने के लिए न तो तेजस्वी को संघर्ष करना पड़ा और न ही चिराग को। पिता की पाठशाला से निकलकर सीधे कर्मशाला की ओर प्रस्थान कर गए। चिराग पहली बार 2014 में सांसद बने और तेजस्वी 2015 में विधायक व उपमुख्यमंत्री बने। दोनों लगभग हमउम्र हैं और अविवाहित भी। राजनीति से पहले दोनों ही ग्लैमर की दुनिया में थे। तेजस्वी को क्रिकेट प्यारा था तो चिराग फिल्मों में किस्मत आजमा रहे थे। अब दोनों की राजनीति कशमकश से गुजर रही है। वजूद आमने-सामने है।

लालू की जमीन पर तेजस्वी के पैर, चिराग के पीछे पासवान

तेजस्वी आरजेडी के 80 विधायकों को नेतृत्व कर रहे हैं तो चिराग छह सांसदों वाली पार्टी की बागडोर संभाल रहे हैं। तेजस्वी के पैर लालू की जमीन पर हैं तो चिराग के लिए भी पासवान ने सारी कायनात को अनुकूल कर रखा है। आगे का सफर दोनों को खुद तय करना है।

फिलहाल चिराग से ज्‍यादा दिख रहा तेजस्वी का प्रभाव

फिलहाल तेजस्वी का प्रभाव कुछ ज्यादा दिख रहा है। लालू ने उन्हें महागठबंधन के अघोषित नेता के रूप में स्थापित कर दिया है। चिराग इस मोर्चे पर अभी संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। हालांकि, सधी हुई चाल का संकेत है कि चिराग भी नई पीढ़ी की राजनीति में अपने लिए जगह बनाने की राह पर हैं। पारिवारिक मोर्चे पर उन्हें समर्थन भी मिल रहा है। जबकि, तेजस्वी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

दोनों ने ही की पिता की पुरानी लीक को ठीक करने की कोशिश

राजनीति का रास्ता भले ही पिता ने दिखाया, किंतु दोनों ने ही पिता की लीक को ठीक करने की जरूरत समझी है। लालू-राबड़ी के कार्यकाल की गलतियों के लिए तेजस्वी ने खुले मंच से माफी मांगकर उन्हें भी जोडऩे की कोशिश की है, जो आरजेडी के राज में प्रताडि़त-प्रभावित थे। चिराग ने भी राजनीति में प्रवेश के पहले ही पासवान की सियासी बिसात को अपने हिसाब से सजाया। गोधरा कांड के बाद केंद्र की अटल बिहारी सरकार से इस्तीफा देकर बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने के पक्षधर पिता को खींचकर फिर से बीजेपी के कुनबे में खड़ा किया। चिराग ने अपने पिता को राजनीति के 14 फीसद बनाम 86 फीसद के फॉर्मूले को समझाया और दिल परिवर्तन के लिए तैयार किया।

दोनों वारिसों की सियासी चमक व चाल पर पिताओं को गर्व

दोनों वारिसों की सियासी चमक और चाल पर भी पिताओं को गर्व है। रामविलास पासवान ने पटना में एक बार चिराग की तुलना तेजस्वी से करते हुए कहा था कि उनके पुत्र की सुंदरता व योग्यता का अमेरिका भी कायल है। यह तुलना इसलिए की गई थी कि तेजस्वी की मां राबड़ी देवी ने चिराग को पहले शादी करने की नसीहत दी थी। दरअसल, उपमुख्यमंत्री रहते हुए तेजस्वी ने जब सड़कों की मरम्मत से संबंधित प्रस्ताव के लिए वॉट्सऐप नंबर जारी किया था तो बड़ी संख्या में लड़कियों ने उन्हें शादी के लिए प्रपोज किया था। मीडिया में बात चली तो दोनों की सूरत की भी तुलना होने लगी।

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