पूर्वांचल में 15 साल में बंद हुईं 17 चीनी मिलें, अब आए 'अच्‍छे दिन' Gorakhpur News

पूर्वांचल की17 चीनी मिलें 15 वर्षों में बंद हो गईं। पिपराइच व मुंडेरवा चीनी मिल के साथ इनके खुलने का सिलसिला शुरू हुआ है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 20 Nov 2019 01:01 PM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 01:01 PM (IST)
पूर्वांचल में 15 साल में बंद हुईं 17 चीनी मिलें, अब आए 'अच्‍छे दिन' Gorakhpur News
पूर्वांचल में 15 साल में बंद हुईं 17 चीनी मिलें, अब आए 'अच्‍छे दिन' Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर-बस्ती मंडल की 17 चीनी मिलें 15 वर्षों में बंद हो गईं। पिपराइच व मुंडेरवा चीनी मिल के साथ इनके खुलने का सिलसिला शुरू हुआ है। वर्तमान में दोनों मंडल की 11 चीनी मिलें चालू हैं।

गन्ना किसानों पर बीते 15 साल भारी पड़े हैं। वजह एक-एक कर मंडल की चीनी मिलें बंद होती रहीं। हालांकि प्रदेश सरकार ने दो चीनी मिलों को खोलकर किसानों को नई उम्मीद दी है। दोनों चीनी मिलों की क्षमता रोजाना 50-50 हजार क्विंटल गन्ना पेरने की है।

गोरखपुर-बस्ती मंडल की बंद चीनी मिलें

गोरखपुर जिले में सरदारनगर (2012-13), धुरियापार (2007-13), महराजगंज जिले में आनंदनगर (1994-95), घुघली (1999-2000), गड़ौरा (2018-19), कुशीनगर जिले में रामकोला (2007-08), छितौनी (1999-2000), लक्ष्मीगंज (2008-09), पडरौना (2011-12), कठकुईया (1998-99), देवरिया जिले में गौरीबाजार (1995-96), बैतालपुर (2007-08), देवरिया (2006-07), भटनी (2006-07), बस्ती जिले में बस्ती (2013-14), वाल्टरगंज (2018-19), संतकबीरनगर जिले में खलीलाबाद (2015-16) चीनी मिल बंद है।

दोनों मंडल में चालू चीनी मिलें

गोरखपुर : एक

देवरिया : एक

कुशीनगर : पांच

महराजगंज : एक

बस्ती : तीन

प्रदेश में यहां भी खोली गईं चीनी मिलें

प्रदेश सरकार रमाला में भी चीनी मिल खोल चुकी है। दस वर्ष से बंद पड़ी सहारनपुर, बुलंदशहर, चंदौसी व मेरठ का पुनरुद्धार कर उसे शुरू कराया गया। एक दर्जन से अधिक चीनी मिलों की क्षमता बढ़ाई गई है। मुख्यमंत्री खुद भी कह चुके हैं कि एक चीनी मिल बंद होने से 50 हजार किसानों की खुशियों पर ब्रेक लगता है। एक हजार नौजवानों के रोजगार पर ब्रेक लगता है। ऐसे में चीनी मिलों का खुलना किसी बड़ी उम्मीद से कम नहीं है।

बंद चीनी मिलों के खुलने से किसानों को लाभ मिलेगा। इससे गन्ने का क्षेत्रफल बढ़ेगा। लोगों को रोजगार मिलेगा। - ऊषा पाल, उप गन्ना आयुक्त।

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