वेंकैया नायडू बोले- संसद के हंगामे से पैदा होती हैं सामाजिक और आर्थिक समस्याएं
वेंकैया नायडू ने बताया कि राज्यसभा की आचरण समिति ने सांसदों के सदन में आचरण के लिए 14 बिंदुओं वाली सिफारिशें की हैं। इसके अनुसार सदस्यों को ऐसा कुछ नहीं करना है जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हो।
नई दिल्ली, प्रेट्र। संसद में होने वाले हंगामे के कारण न चाहते हुए कार्यवाही को स्थगित करना होता है। इसका नतीजा यह होता है कि कानून बनने में देरी होती है। यह बात शनिवार को राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राम जेठमलानी स्मृति व्याख्यानमाला में कही। वेंकैया ने कहा, सदन में होने वाले हंगामे से कई तरह की आर्थिक मुश्किलें पैदा होती हैं जिनका सीधा असर सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था पर होता है। सांसद और विधायक जनता के प्रतिनिधि के तौर पर कार्य करते हैं। उनसे उम्मीद की जाती है कि वे जनता के फायदे के लिए कार्य करेंगे, न कि हंगामा करेंगे।
राज्यसभा के सभापति ने कहा, लोग अक्सर उनसे पूछते हैं कि हंगामे के दौरान सदन की कार्यवाही स्थगित क्यों कर दी जाती है? इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वह नहीं चाहते कि सदन में चुने हुए प्रतिनिधि किस तरह से हंगामा कर रहे हैं, इसे लोग देखें। निश्चित तौर पर इसे उन्हें चुनने वाले मतदाता अच्छे तौर पर नहीं लेंगे।
नायडू ने बताया कि राज्यसभा की आचरण समिति ने सांसदों के सदन में आचरण के लिए 14 बिंदुओं वाली सिफारिशें की हैं। इसके अनुसार सदस्यों को ऐसा कुछ नहीं करना है जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हो। उन्होंने कहा, सदन में सभी को बोलने की स्वतंत्रता है। हर मसले पर सांसद अपने विचार रख सकते हैं। इस विशेषाधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए। इससे पहले संसद भवन परिसर में आयोजित महाकवि सुब्रमण्यम भारती के 100 वीं पुण्यतिथि के कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति ने महिलाओं को लेकर हर तरह का भेदभाव खत्म किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम में कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, हंगामे को खबर बनाना गलत है। इससे हंगामा करने वाले उत्साहित होते हैं और उसी के लिए मौका तलाशते रहते हैं। सांसदों के पास विशेषाधिकार होते हैं, इसलिए उन्हें जिम्मेदार भी बनना चाहिए। इस मौके पर सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, किसी भी सांसद की विद्वत्ता और बुद्धिमानी तभी प्रदर्शित होती है जब वह कोई हंगामा न करे। सदन में होने वाले हंगामे से लोगों के मन में नकारात्मक छवि बनती है। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।