केंद्रीय मंत्री ने कहा- मोबाइल सिम के लिए भी बताना होता है नाम-पता फिर एनपीआर से क्यों परहेज

केंद्रीय मंत्री जावडेकर बुधवार को कैबिनेट में लिए गए फैसलों की जानकारी देने के बाद सीएए एनआरसी और एनपीआर से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 08:27 PM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 08:27 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री ने कहा- मोबाइल सिम के लिए भी बताना होता है नाम-पता फिर एनपीआर से क्यों परहेज
केंद्रीय मंत्री ने कहा- मोबाइल सिम के लिए भी बताना होता है नाम-पता फिर एनपीआर से क्यों परहेज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एनपीआर और सीएए पर हो-हल्ला मचा रहे लोगों को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बुधवार को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि आज मोबाइल की सिम लेने पर भी नाम और पता बताना होता और उसके प्रमाण देने होते है, तो फिर एनपीआर को लेकर विरोध क्यों।

एनपीआर और एनआरसी कांग्रेस का है फैसला, उस समय किसी ने विरोध नहीं किया

वैसे भी एनपीआर तैयार करने का फैसला कांग्रेस का है। जिसे उसने 2010 में लिया था, लेकिन उस समय किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया। हालांकि उन्होंने साफ किया, इसमें मांगी गई किसी भी जानकारी का ब्यौरा देना जरूरी नहीं है।

असम में एनआरसी लाने की फैसला कांग्रेस का ही था, मेरी सरकार ने पूरा किया

केंद्रीय मंत्री जावडेकर बुधवार को कैबिनेट में लिए गए फैसलों की जानकारी देने के बाद सीएए, एनआरसी और एनपीआर से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने साफ किया कि असम के जिस एनआरसी को विपक्ष और कांग्रेस मुद्दा बना रही है, वह यह क्यों भूल रही है, कि इसे लाने की फैसला उन्हीं का ही था। जिसमें हमारी सरकार ने पूरा किया।

जावडेकर से इन दौरान सुप्रीम कोर्ट के रूख को लेकर भी सवाल किया गया, लेकिन उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की, बल्कि कहा, कि जो लोग इसका विरोध कर रहे है, उन्हें इसे समझना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इन्कार 

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह की रोक लगाने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह केन्द्र सरकार को सुने बगैर एकतरफा कोई भी आदेश पारित नहीं करेगा। यहां तक कि कोर्ट ने नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) और नेशनल सिटीजन रजिस्टर (एनआरसी) की प्रक्रिया तीन महीने के लिए टालने की मांग भी नहीं मानी।

केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा

कोर्ट ने सीएए को चुनौती देने वाली करीब 80 नयी याचिकाओं पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब मांगा है। इसके साथ ही मामला सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजने के भी संकेत दिये। साथ ही हाईकोर्ट से कहा है कि वह सीएए के मामले में सुनवाई नहीं करेंगे। मामले में चार सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी। ये आदेश मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना की पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान दिये।

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