केंद्र ने कहा- वैश्विक भुखमरी सूचकांक तैयार करने की पद्धति अवैज्ञानिक, भारत की रैंकिंग कम करना वास्तविकता से परे

केंद्र सरकार ने वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत के नीचे जाने पर हैरानी जताई है। केंद्र सरकार ने सूचकांक तैयार करने के लिए अपनाई जाने वाली पद्धति को अवैज्ञानिक करार दिया है। यह जमीनी वास्तविकता और तथ्यों से रहित है। पढ़ें पूरा बयान...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 10:38 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 12:52 AM (IST)
केंद्र ने कहा- वैश्विक भुखमरी सूचकांक तैयार करने की पद्धति अवैज्ञानिक, भारत की रैंकिंग कम करना वास्तविकता से परे
केंद्र सरकार ने वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत के नीचे जाने पर हैरानी जताई है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार ने वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index, GHI) में भारत के नीचे जाने पर हैरानी जताई है। केंद्र सरकार ने सूचकांक तैयार करने के लिए अपनाई जाने वाली पद्धति को अवैज्ञानिक करार दिया है। बता दें कि जीएचआइ में भारत सात स्थान और फिसल गया है। 116 देशों को लेकर जारी किए गए 2021 के सूचकांक में भारत 101वें स्थान पर है। पिछले साल 107 देशों में से भारत 94वें स्थान पर रहा था।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि यह 'चौंकाने वाला' है कि वैश्विक भुखमरी रिपोर्ट 2021 ने कुपोषित आबादी के अनुपात पर एफएओ अनुमान के आधार पर भारत के रैंक को कम कर दिया है। यह जमीनी वास्तविकता और तथ्यों से रहित है और इसे तैयार करने की कार्यप्रणाली भी गंभीर सवालों के घेरे में है। मंत्रालय ने कहा है कि वैश्विक भुखमरी रिपोर्ट जारी करने वाली एजेंसी ने अपना काम सही तरीके से नहीं किया है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि एफएओ ने जो तरीका अपनाया है वह अवैज्ञानिक है। इसके अलावा रिपोर्ट में कोरोना संकट के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की अनदेखी की गई है। बता दें कि एफएओ यानी खाद्य एवं कृषि संगठन संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है जो दुनियाभर में भुखमरी खत्म करने और पोषण एवं खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए काम करती है।

उल्‍लेखनीय है कि वैश्विक भुखमरी सूचकांक (जीएचआइ) में भारत सात स्थान और फिसल गया है। 116 देशों को लेकर जारी किए गए 2021 के सूचकांक में भारत 101वें स्थान पर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लाकडाउन से भारत में बड़ी आबादी प्रभावित हुई। चीन, ब्राजील और कुवैत समेत 18 देश टाप रैंक पर रहे हैं। 

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