अपनी ही दलीलों में घिर सकता है वाट्सएप, सरकार की दो-टूक, कानून- व्यवस्था खतरे में हो तो देनी पड़ेगी जानकारी

केंद्र सरकार का कहना है कि भारत सरकार निजता के अधिकार का सम्मान करती है। हालांकि यदि वॉट्सऐप से किसी संदेश के सोर्स या उद्गम को बताने के लिए कहा जाता है तो इसका अर्थ निजता के अधिकार का उल्लंघन करना नहीं है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 26 May 2021 06:45 PM (IST) Updated:Thu, 27 May 2021 07:13 AM (IST)
अपनी ही दलीलों में घिर सकता है वाट्सएप, सरकार की दो-टूक, कानून- व्यवस्था खतरे में हो तो देनी पड़ेगी जानकारी
केंद्र सरकार का कहना है कि भारत सरकार निजता के अधिकार का सम्मान करती है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। भारत में मनमाना और अडि़यल रुख दिखा रहे विदेशी इंटरनेट मीडिया को सरकार ने कसना शुरू कर दिया है। देश में कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बनने वाले मैसेज के बारे में भी सरकार को जानकारी देने से बचने के लिए हाई कोर्ट पहुंचे वाट्सएप से ही इसकी शुरुआत हो सकती है। माना जा रहा है कि वाट्सएप खुद ही अपनी दलील में घिर सकता है। कोर्ट के ही ऐसे कई फैसले हैं जिसमें स्पष्ट है कि मूलभूत अधिकार की भी एक सीमा होती है। अगर इसका टकराव कानून-व्यवस्था, सामाजिक शांति और देश की संप्रभुता से होने लगे तो वैसे मामले में अधिकार सीमित हो जाते हैं। 

कई देशों में प्रविधान 

वैसे भी जरूरी होने पर पोस्ट के मूल सृजनकर्ता की जानकारी साझा करने का प्रविधान कई देशों में है। वाट्सएप की दलील है कि किसी भी ग्राहक के बारे में जानकारी देना निजता के अधिकार का हनन होगा। इलेक्ट्रानिक्स एवं आइटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार निजता के अधिकार का पूरी तरह से सम्मान करती है और सरकार की मंशा इसका उल्लंघन करना नहीं है। विशेष परिस्थिति में ऐसा करना होता है और ऐसे प्रविधान कई देशों में हैं जिसे इंटरमीडियरीज मानते भी हैं। 

सुरक्षा के सवाल पर देनी होगी जानकारी  

उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया कि जब देश की सुरक्षा और संप्रभुता का सवाल हो, कानून-व्यवस्था का मसला हो, दुष्कर्म या बाल यौन शोषण जैसे मामलों से जुड़े लोगों को सजा दिलाने के लिए इसकी जरूरत पड़े या फिर किसी देश के साथ संबंध का मामला हो तो जरूरी है कि आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले के बारे में जानकारी दी जाए। 

भारत में वाट्सएप की जिद क्यों..?

सरकार का कहना है कि मैसेज के मूल सृजनकर्ता की जानकारी की जरूरत तब पड़ेगी जब अन्य सभी माध्यम अपराध उजागर करने में नाकामयाब हो जाएंगे। पांच साल से कम सजा वाले अपराध में भी मैसेज के मूल सृजनकर्ता की जानकारी की मांग नहीं की जाएगी। मंत्रालय ने कहा कि इस प्रकार के मैसेज के मूल सृजनकर्ता की जानकारी साझा करने का निर्देश अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे देश जारी कर चुके हैं। वहां इंटरनेट मीडिया इसे मान भी रहा है फिर भारत में वाट्सएप की यह जिद क्यों है।

फर्जी खबरों को रोकने की कोशिश पर बवाल क्‍यों 

मंत्रालय ने वाट्सएप की दोहरी नीति की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि एक ओर वाट्सएप भारतीय यूजर्स को अपनी प्राइवेसी पालिसी को स्वीकार करने के लिए कह रही है वहीं वाट्सएप अपनी मूल कंपनी फेसबुक के साथ मार्केटिंग और विज्ञापन के उद्देश्य से यूजर्स का डाटा शेयर करेगी। अगर सरकार इंटरनेट मीडिया पर चलने वाली फर्जी खबरों को रोकने के लिए वाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर जैसे इंटरमीडएरीज को लेकर निर्देश लागू करना चाहती है तो उसे नहीं मानने के लिए हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।

यूजर्स पर नहीं पड़ेगा असर 

इंटरनेट मीडिया के लिए जारी सरकारी निर्देशों के बारे में प्रसाद ने कहा, भारत की तरफ से रखे किसी भी प्रस्ताव से वाट्सएप का सामान्य कामकाज किसी भी तरीके से प्रभावित नहीं होगा, वैसे ही सामान्य यूजर्स पर भी इसका कोई असर नहीं होगा। 

जनहित में है यह प्रविधान 

प्रसाद के मुताबिक, न्यायिक व्यवस्था के तहत निजता के अधिकार समेत सभी मौलिक अधिकार को तार्किक रूप से सीमित किया जा सकता है। मैसेज के मूल सृजनकर्ता की जानकारी की जरूरत को मौलिक अधिकार को तार्किक रूप से सीमित करने के रूप में देखा जा सकता है। मंत्रालय के मुताबिक यह प्रविधान जनहित में है क्योंकि दंगे से लेकर सामूहिक पिटाई से हत्या जैसे मामलों में इंटरनेट मीडिया पर चलने वाले मैसेज का हाथ होता है। इस प्रकार के मैसेज के सृजनकर्ता का पर्दाफाश करना और उन्हें सजा दिलाना जनता के पक्ष में है।

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