जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून को मंजूरी, 12 लाख टन सेब के खरीद पर भी मंत्रिमंडल की मुहर

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 (Jammu and Kashmir Panchayati Raj Act 1989) को मंजूरी दी है। इस कदम से जम्‍मू-कश्‍मीर में देश के अन्य हिस्सों की तरह तीन स्तरीय लोकतंत्र की स्थापना में मदद मिलेगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 04:03 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 11:12 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून को मंजूरी, 12 लाख टन सेब के खरीद पर भी मंत्रिमंडल की मुहर
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 को मंजूरी दी है।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 को लागू करने की मंजूरी दी है। इस कदम से जम्‍मू-कश्‍मीर में देश के अन्य हिस्सों की तरह तीन स्तरीय लोकतंत्र की स्थापना में मदद मिलेगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री जावड़ेकर ने मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इससे देश के अन्य हिस्सों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के तीनों स्तरों को स्थापित करने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत साल 2020-21 के लिए जम्मू-कश्मीर में सेब की खरीद का फैसला किया है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। नेफेड राज्य एजेंसियों के सहयोग से सेब की खरीद करेगा। सेब की कीमत का हस्तान्तरण सीधे किसानों के बैंक खातों में किया जाएगा। मंत्रिमंडल ने चालू वर्ष में राज्‍य से 12 लाख टन सेब के खरीद को मंजूरी दी है।

यही नहीं केंद्र सरकार ने नेफेड को 2500 करोड़ रुपये के गारंटी कोष का इस्‍तेमाल करने को भी इजाजत दे दी है। यदि कोई नुकसान होता है तो केंद्र सरकार और प्रदेश आधी आधी रकम वहन करेंगे। जम्‍मू-कश्‍मीर प्रशासन सेब की खरीद के लिए मंडियों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। यही नहीं व्‍यवस्‍था दी गई है कि उक्‍त खरीद प्रणाली की लगातार निगरानी भी की जाएगी। 

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जनकल्याण के अनेक कानून भारत में होकर भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते थे। आज उस निर्णय पर मुहर लगी और अब जिला विकास परिषद के सीधे चुनाव होकर जनप्रतिनिधियों के हाथ में सत्ता आएगी। ग्राम पंचायत, ब्लॉक पंचायत और अब जिला पंचायत... ऐसी त्रिस्तरीय रचनाएं हैं जो पंचायत राज के कानून में निहित हैं उन्‍हें कश्मीर में लागू करने को लेकर फैसला किया गया है। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उक्‍त फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद भारत के अनेक जन कल्याण के कानून वहां लागू होना शुरू हो गए हैं। जन कल्याण के अनेक कानून भारत में होकर भी लागू नहीं होते थे। अब जिला विकास परिषद के सीधे चुनाव होकर जन प्रतिनिधियों के हाथ में सत्ता आएगी। आज उस निर्णय पर मुहर लगी है। लोग अब चुनाव से अपने प्रतिनिधि चुन सकेंगे।

केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने यह वादा किया था कि त्रिस्तरीय पंचायत समिति की रचना जम्मू-कश्मीर में लागू की जाएगी। आज के निर्णय से यह वादा भी पूरा हो गया है। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होगी। लोगों के हाथ में सत्ता आएगी। यह बहुत बड़ा बदलाव है। जम्मू और कश्मीर के लोग इस बदलाव का स्वागत करेंगे। कश्मीर का एक दुख था कि सत्ता जनता के पास नहीं चंद लोगों के पास थी।  

इस बीच जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने केंद्र शासित प्रदेश में युवाओं को कट्टरपंथ के रास्ते पर जाने से रोकने के लिए व्यापक उपायों को आजमाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि हजारों मील दूर से आतंकी तत्व दुष्प्रचार के मध्‍यम से समाज के एक बड़े वर्ग में पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कट्टरपंथ रोकने के उपायों के तहत एक समन्वित, समुदाय समर्थित मंच होना चाहिए ताकि आतंकवाद के खिलाफ सही विचारों का प्रचार किया जा सके।

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