मिशन 2019: मोदी लहर में भी टाइट फाइट वाली इन सीटों पर राजद की नजर

पिछली लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए मिशन 2019 के लिए भी राजद अपने लिए खास तरह की रणनीति तैयार कर रहा है जिसमें खास सीटों पर विशेष ध्यान देते हुए जीत की तैयारी की जा रही है।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 11:32 AM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 09:26 PM (IST)
मिशन 2019: मोदी लहर में भी टाइट फाइट वाली इन सीटों पर राजद की नजर
मिशन 2019: मोदी लहर में भी टाइट फाइट वाली इन सीटों पर राजद की नजर

पटना [अरविंद शर्मा]। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर में भी बिहार की करीब दर्जन भर ऐसी सीटें हैं, जहां राजद-कांग्रेस प्रत्याशियों की हार बहुत कम अंतर से हुई थी। सारण में खुद राबड़ी देवी और पाटलिपुत्रा में डॉ. मीसा भारती की हार की कहानी भी महज 40 हजार वोटों के अंतर से लिखी गई थी। 

इस बार बदले समीकरण का अनुमान लगाकर राजद ने नजदीकी मुकाबले वाली सीटों के लिए एक्शन प्लान बनाया है। ऐसी दर्जन भर सीटों के प्रत्येक बूथों पर राजद के समर्थक वोटरों की संख्या बढ़ाने की पहल तेज कर दी गई है।  

राजद ने पिछला लोकसभा चुनाव कांग्रेस से तालमेल करके लड़ा था। तेजस्वी यादव ने ऐसी सीटों को खंगाला है, जहां राजद प्रत्याशियों को 50 हजार से कम वोटों से हारना पड़ा था। राबड़ी को सारण में भाजपा प्रत्याशी राजीव प्रताप रुडी ने 40 हजार 948 वोटों से हराया था। 

पाटलिपुत्रा सीट पर राजद से बगावत करके भाजपा प्रत्याशी बने रामकृपाल यादव ने मीसा भारती को 40 हजार 322 वोटों से पराजित किया था। दोनों सीटों पर हार से राजद ने बड़ा सबक लेकर नजदीकी मुकाबले वाली सीटों का सर्वे कराया है, जहां हार का कारण, हालात, मतदाताओं की मंशा, सामाजिक समीकरण और विरोधी दलों के संभावित प्रत्याशियों का आकलन कराया गया है। 

तेजस्वी का मानना है कि जदयू-भाजपा के गठबंधन हो जाने से इस बार के हालात और कठिन होंगे। दूसरे दल भी जोर लगाएंगे। ऐसे में इन सीटों पर प्रचार और संगठन की मजबूती के अलावा प्रत्याशी बदलने जैसी रणनीति पर भी विचार किया जा रहा है।  

20 हजार से हार गए थे सिद्दीकी 

मधुबनी में भाजपा के हुकुमदेव नारायण यादव से राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुली बारी सिद्दीकी महज 20 हजार 535 वोटों से हार गए थे। दरभंगा में भाजपा के कीर्ति झा आजाद ने राजद के अली अशरफ हाशमी को 35 हजार 43 वोटों से हराया था। कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां जीत का अंतर 10 हजार से भी कम वोटों का था। समस्तीपुर में राजद की सहयोगी कांग्र्रेस के प्रत्याशी डॉ. अशोक कुमार को लोजपा के रामचंद्र पासवान ने महज छह हजार 872 वोटों से हराया था।  

जीती हुई सीटों से भी सिरदर्द

राजद ने सिर्फ हारी हुई सीटों की समीक्षा ही नहीं की है, बल्कि कम फासले की जीत ने भी सिरदर्द बढ़ाया है। लालू प्रसाद के दो प्रमुख सिपहसालारों के भी कड़े मुकाबले में फंसने का खतरा है। बांका से राजद के सांसद जयप्रकाश नारायण ने पुतुल कुमारी को 10 हजार वोटों से हराया था। भागलपुर के राजद सांसद बुलो मंडल ने भी भाजपा के शाहनवाज हुसैन को नौ हजार 485 वोटों से हराया था। सतर्क नहीं रहे तो अबकी दोनों की बाजी पलट सकती है।  

इन सीटों के लिए खास रणनीति

सारण, समस्तीपुर, पाटलिपुत्रा, जहानाबाद, मधुबनी, झंझारपुर, सुपौल, मधेपुरा, दरभंगा, महाराजगंज, बेगूसराय के अलावा भागलपुर और बांका 

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