Aircraft Amendment Bill 2019: विमान सुरक्षा को खतरे में डालने वाले दोषियों पर लगेगा एक करोड़ का जुर्माना
एयरक्राफ्ट संशोधन बिल में एयर नेविगेशन के सभी क्षेत्रों के नियम-कायदों को एक्ट के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 में संशोधन के लिए प्रस्तावित विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसमें विमान में हथियार, गोला बारूद या खतरनाक वस्तुएं ले जाने अथवा विमान की सुरक्षा को किसी भी प्रकार से खतरे में डालने के दोषी व्यक्तियों पर सजा के अलावा दस लाख के मौजूदा जुर्माने को बढ़ाकर एक करोड़ करने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित विधेयक को एयरक्राफ्ट (संशोधन) विधेयक 2019 के नाम से संसद में पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये मंजूरी दी गई।
एयरक्राफ्ट संशोधन बिल में एयर नेविगेशन के सभी क्षेत्रों के नियम-कायदों को एक्ट के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया गया है। संशोधन से इंटरनेशनल सिविल एविएशन आर्गनाइजेशन आइसीएओ की सुरक्षा संबंधी शर्ते भी पूरी होंगी। इसके अलावा इससे भारत के तीनो विमानन नियामकों-उड्डयन महानिदेशालय (DGCA), ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्यूरिटी( BCAS) तथा एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो (AAIB) को अपनी भूमिका बेहतर ढंग से निभाने में मदद मिलेगी।
दिल्ली मेट्रो फेज-4 में केंद्र का योगदान बढ़ा
कैबिनेट ने केंद्र व दिल्ली सरकार को दिल्ली मेट्रो के फेज-4 के वित्तपोषण के तौरतरीकों में बदलाव की भी अनुमति दे दी है। इसके तहत केंद्र और दिल्ली सरकार फेज-4 के तीन कारीडोर के निर्माण के लिए आवश्यक जमीन की लागत में भी 50:50 फीसद हिस्सेदारी निभाएंगी। इन कारीडोर में एरोसिटी-तुगलकाबाद, आरके आश्रम-जनकपुरी (पश्चिम) तथा मुकुंदपुर-मौजपुर के कारीडोर शामिल हैं।
केंद्र और दिल्ली सरकार का योगदान 50:50
ये कदम मेट्रो रेल पॉलिसी, 2017 में संशोधन के मद्देनजर सुप्रीमकोर्ट के आदेश के तहत केवल दिल्ली के लिए उठाया है। दिल्ली में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप चौथे चरण की कुल लागत जो 24,948.65 करोड़ है, पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन केंद्र सरकार का योगदान मौजूदा 4,154.20 करोड़ से बढ़कर 4,643.63 करोड़ हो जाएगा। अर्थात केंद्र को 489.43 करोड़ रुपये और देने होंगे। जबकि डीएमआरसी द्वारा बहुपक्षीय एजेंसियों को वापस किए जाने वाले कर्ज की राशि 11462.60 करोड़ से बढ़कर 12,930.91 करोड़ रुपये हो जाएगी। अर्थात 1468.31 करोड़ की बढ़ोतरी। अभी मेट्रो परियोजनाओं की कुल लागत में केंद्र और दिल्ली सरकार का योगदान 50:50 फीसद है।
कैबिनेट ने एनएचएआइ को इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट की स्थापना की अनुमति भी दे दी है। इससे एनएचएआइ को ऐसी पूरी हो चुकी सड़क परियोजनाओं के मौद्रीकरण में भी सुविधा होगी जो कम से कम एक साल से टोल संग्रह कर रही हों।