पश्चिम बंगाल में तृणमूल का तिलिस्म तोड़ने में जुटी भाजपा

आम चुनावों में पश्चिम बंगाल में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी की नजर अब विधानसभा चुनावों पर है। पार्टी को यहां 18 सीटों पर जीत मिली है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Sat, 25 May 2019 09:23 AM (IST) Updated:Sat, 25 May 2019 09:23 AM (IST)
पश्चिम बंगाल में तृणमूल का तिलिस्म तोड़ने में जुटी भाजपा
पश्चिम बंगाल में तृणमूल का तिलिस्म तोड़ने में जुटी भाजपा

[मिलन कुमार शक्ला] 2019 के आम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के साथ पश्चिम बंगाल को लेकर अब भाजपा की नजर 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। लोकसभा की कुल 42 में से 18 सीटें जीतने के साथ भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि वोट शेयर के मामले में राज्य के कम से कम 150 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को बढ़त मिली है। पार्टी ने लोकसभा के साथ हुए आठ विधानसभा उपचुनाव में से चार पर जीत हासिल   है। वहीं, राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक अब भाजपा मोदी मैजिक के बूते बंगाल में तृणमूल की तिलिस्म को तोड़ने की जुगत में जुट गई है। जाहिर तौर पर बंगाल में भाजपा की जीत को तृणमूल के वर्चस्व के लिए बड़े खतरे के तौर पर देखा जा रहा है। तृणमूल प्रमुख व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शायद ही इस बड़ी उलटफेर की कामना की होगी। यही वजह है कि इस पर मंथन को शनिवार को ममता ने पार्टी के सभी नेताओं की बैठक बुलाई है। 

क्या दोहराया जाएगा इतिहास : इस नतीजे ने एक दशक पहले 2009 के लोकसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के प्रदर्शन की यादें ताजा कर दी हैं। तब तृणमूल कांग्रेस के सीटों की तादाद एक से बढ़ कर 19 तक पहुंच गई थीं। राज्य में तब वाममोर्चा की सरकार थी। 2008के पंचायत चुनाव से ही तृणमूल ने वाम दलों के वोट बैंक में सेंधमारी करनी शुरू कर दी थी। एक बार फिर कमोवेश वैसी ही स्थिति  नजर आ रही है। बीते पंचायत चुनाव से ही भाजपा ने तृणमूल की वोटबैंक में जबरदस्त सेंधमारी की है। हालांकि, इसकी एक वजह  वाममोर्चा के कैर्डस का वैकल्पिक तौर पर भाजपा की ओर रूख करना भी है।

2019 लोकसभा चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए भाजपा ने लोकसभा की 42 में से 18 सीट पर जीत दर्ज की है। 2014 में पार्टी के पास महज दो सीटें थी, जबकि वोट शेयर 16.80 फीसद था। अब वोट शेयर बढ़ कर 40.03 फीसद हो गया है। वहीं, आठ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में से चार सीटें भाजपा ने जीती हैं। वोट शेयर तृणमूल के 37 फीसद के मुकाबले 40.49 फीसद रहा है। 

मोदी के दावे में दिख रहा है दम: वाममोर्चा के वर्चस्व को तृणमूल ने 2011 में खत्म किया था। इसके बाद तृणमूल को भाजपा से लगातार कड़ी चुनौती मिल रही है। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने श्रीरामपुर के चुनावी सभा में कहा था कि दीदी 23 मई को नतीजे आने के बाद कमल खिलेगा और देखना आपके एमएलए आपका साथ छोड़ देंगे। टीएमसी के 40 विधायक मेरे संपर्क में हैं और दीदी आपका बचना मुश्किल है। चुनाव नतीजे के साथ इसकी शुरुआत भी हो चुकी है शुक्रवार को ही भाजपा नेता मुकुल राय के पुत्र व बीजपुर से तृणमूल विधायक शुभ्रांसु राय ने बगावती स्वर अख्तियार किया, जिसके बाद तृणमूल ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। संभव है कि अब वे भाजपा का दामन थाम सकते हैं। भाजपा नेता अन्य कई विधायकों के तृणमूल छोड़ने का दावा कर रहे हैं। 

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