सुप्रीम कोर्ट की तल्‍ख टिप्‍पणी, कहा- हैरानी की बात है कि परमबीर सिंह को अब राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उनके खिलाफ सभी जांचों को महाराष्ट्र से बाहर ले जाने और राज्य पुलिस से सभी जांचों को एक स्वतंत्र एजेंसी को दिए जाने की मांग की गई थी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 05:18 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 05:27 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट की तल्‍ख टिप्‍पणी, कहा- हैरानी की बात है कि परमबीर सिंह को अब राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया...

नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उनके खिलाफ सभी जांचों को महाराष्ट्र से बाहर ले जाने और राज्य पुलिस से सभी जांचों को एक स्वतंत्र एजेंसी को दिए जाने की मांग की गई थी। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक शीर्ष अदालत ने कहा कि बेहद हैरानी की बात है कि राज्य में 30 साल से ज्यादा सेवा देने के बाद मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह अब कह रहे हैं कि उन्हें राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है और अपने खिलाफ चल रही सभी जांचों महाराष्ट्र से बाहर किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की मांग कर रहे हैं। 

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन की अवकाश पीठ ने परमबीर सिंह के खिलाफ चल रही जांच महाराष्ट्र से बाहर किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह आम कहावत है कि जिसके घर शीशे के हों उनको दूसरों पर पत्थर नहीं उछालना चाहिए। इसके बाद सर्वोच्‍च न्यायालय ने कहा कि वह याचिका खारिज करने का आदेश पारित करेगा त‍ब परमबीर सिंह के वकील ने कहा कि वह याचिका वापस ले रहे हैं। वह कोई दूसरा न्यायिक उपाय अपनाएंगे।

सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने पैरवी की। जेठमलानी ने कहा कि याचिका दायर करने वाले के खिलाफ एक के बाद एक मुकदमे केवल इसलिए दाखिल नहीं किए जा सकते क्योंकि वह व्हिसीलब्लोवर है। सिंह अपने खिलाफ चल रही सभी जांचों को राज्य के बाहर स्थानांतरित करने और सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने की अपील कर रहे हैं। इस पर अदालत ने कहा कि यह बेहद हैरानी की बात है। आप महाराष्ट्र काडर का हिस्सा रहे हैं। आपने 30 साल से ज्यादा लंबी सेवा दी है। अब आप कह रहे हैं कि आपको अपने ही राज्य पुलिस पर यकीन नहीं है। यह तो आश्चर्यजनक है।

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