सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लोगों को पता रहे कि उन्मादी भीड़ हिंसा की तो कानून का क्रोध बरसेगा

कोर्ट ने ऐसा निर्देश जारी किया है और वे अपनी गतिविधियों और उसके कानून व्यवस्था पर पड़ने वाले असर को समझें।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 11:12 PM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 12:32 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लोगों को पता रहे कि उन्मादी भीड़ हिंसा की तो कानून का क्रोध बरसेगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लोगों को पता रहे कि उन्मादी भीड़ हिंसा की तो कानून का क्रोध बरसेगा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को उन्मादी भीड़ की हिंसा रोकने के बारे में दिये गए कोर्ट के आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि आदेश का प्रचार किया जाए ताकि लोगों को पता रहे कि अगर उन्होंने ऐसा किया तो कानून का क्रोध उन पर बरसेगा।

उन्मादी भीड़ की हिंसा का मामला

सुप्रीम कोर्ट ने गत 17 जुलाई को उन्मादी भीड़ की हिंसा रोकने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये थे और राज्यों को उन पर अमल करने का आदेश दिया था। कोर्ट फिलहाल आदेश के अनुपालन की निगरानी कर रहा है।

सोमवार को ये आदेश मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने गोरक्षा के नाम पर हिंसा फैलाने का मामला उठाने वाली तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये। कोर्ट को बताया गया कि तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, त्रिपुरा, असम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, लक्ष्यद्वीप, और पुड्डूचेरी ने भीड़ हिंसा रोकने के लिए जारी आदेश पर अमल की रिपोर्ट दाखिल कर दी है।

आदेश का प्रचार किया जाए ताकि उसके बारे में लोगों को मालूम हो

कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे अपनी वेबसाइट पर कार्यवाही रिपोर्ट भी अपलोड करें ताकि लोगों को मालूम हो कि राज्यों ने इस बारे में क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि लोगों को कानून हाथ में लेने से रोकने के लिए और समाज में आपसी भाईचारा कायम रखने के लिए ये जरूरी है।

कोर्ट को बताया गया कि अभी भी 12 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों जिनमें अरुणाचल प्रदेश, दादर नागर हवेली, दमन दीव, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब और तेलंगाना ने आदेश की अमल रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। हालांकि इनमें से कुछ राज्यों की ओर से बताया गया कि या तो उन्होंने रिपोर्ट दाखिल कर दी है या दाखिल करने वाले हैं।

कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने रिपोर्ट दाखिल नहीं की है वे एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करें। इन्द्रा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि गत 17 जुलाई के आदेश में कोर्ट ने केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे रेडियो टीवी और गृह विभाग तथा पुलिस की वेबसाइट पर इस बात का प्रचार करें कि किसी भी तरह की भीड़ हिंसा पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जयसिंह ने कहा कि राज्यों ने इस दिशानिर्देश पर अमल नहीं किया है।

कोर्ट की ओर से इस बावत पूछे जाने पर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल, और एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि अगर इस पर अमल नहीं हुआ है तो एक सप्ताह के भीतर अमल किया जाएगा। इस आश्वासन के बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी राज्य एक सप्ताह के भीतर पूरी निष्ठा से इस पर अमल करें।

लोगों को पता रहे कि कोर्ट ने ऐसा निर्देश जारी किया है और वे अपनी गतिविधियों और उसके कानून व्यवस्था पर पड़ने वाले असर को समझें। कोर्ट ने कहा कि इसका उद्देश्य है कि लोग जानें कि अगर वे ऐसी गतिविधियों में संलिप्त हुए तो उन्हें कानून के क्रोध का सामना करना पड़ेगा।

जब याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने मुआवजे का मुद्दा उठाया तो कोर्ट ने उनसे कहा कि वह राज्यवार मुआवजा स्कीम का चार्ट तैयार कर कोर्ट में दाखिल करें और उसकी प्रति संबंधित राज्यों के वकीलों को भी दें ताकि वे अपना जवाब दाखिल कर सकें। कोर्ट मामले पर दो सप्ताह बाद फिर सुनवाई करेगा।

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