भारत में आईएस की गतिविधियों के खुलेंगे राज, केरल का युवक गिरफ्तार

अफगानिस्तान में तालिबान या आइएस के बीच की लड़ाई भी पाकिस्तानी एजेंसियां करा रही हैं ताकि वहां की सरकार को कमजोर किया जा सके।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 08:53 PM (IST) Updated:Wed, 19 Sep 2018 10:15 PM (IST)
भारत में आईएस की गतिविधियों के खुलेंगे राज, केरल का युवक गिरफ्तार
भारत में आईएस की गतिविधियों के खुलेंगे राज, केरल का युवक गिरफ्तार

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस या दायेश) में शामिल होने गये केरल के एक युवक को अफगानिस्तान ने भारत डिपोर्ट कर दिया है। केरल के वायनाड जिले के कालपेटा गांव का निवासी नशिदुल हमजफर को बुधवार को नई दिल्ली विमान से उतरते ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार कर लिया।

आईएस की बढ़ती ताकत पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति घनी में चर्चा

यह भी उल्लेखनीय है कि इसे जिस दिन गिरफ्तार किया गया, उसके अगले दिन ही राष्ट्रपति अशरफ गनी और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच अफगानिस्तान में दायेश की बढ़ती ताकत पर गंभीर मंत्रणा हुई है। आधिकारिक दौरे पर आये घनी ने मोदी से आईएस व तालिबान से लड़ने के लिए भारत से ज्यादा मदद मांगी है।

अफगान से भारत को किया गया डिपोर्ट

नशिदुल हमजफर के बारे में भारतीय जांच एजेंसियों के पास जो जानकारी है उसके मुताबिक उसने 03 अक्टूबर, 2017 को देश छोड़ा और उसके बाद वह मस्कट (ओमान) होते हुए काबुल पहुंचा। काबुल में वह काफी समय से जांच एजेसियों की गिरफ्त में था। माना जाता है कि हमजफर और उसके जैसे दर्जनों युवकों को आईएस में शामिल होने के लिए बुलाया गया था। ऐसे में इसकी गिरफ्तारी को जांच एजेंसियां काफी महत्व दे रही हैं।

हो सकता है कि अब आईएस के भारत में चलाये गये भर्ती अभियान को लेकर कुछ और खुलासे हों। साथ ही जो भारतीय आईएस में शामिल होने के लिए विदेश गये थे उनके बारे मे भी पता चल सके।आईएस ने कासरगोड (केरल) समेत देश के कई हिस्सों में मुस्लिम युवाओं के बीच कट्टरपंथी भावनाओं को भड़काने के लिए सोशल साइट्स की मदद ले रहा था। इसके लिए विशेष अभियान चलाया गया था जिसके शिकार कासरगोड के कई युवा हुए।

कारसगोड जिले के 14 युवक व युवतियां का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है। इनके बारे में माना जाता है कि मई-जुलाई, 2016 के बीच इन्होंने भारत छोड़ा था। एक आशंका यह भी है कि इन्होंने बाद में अफगानिस्तान के आइएस के नए गढ़ नंगरहर में शरण ली थी। हो सकता है कि ये वहां अमेरिकी बमबारी के शिकार हो गये हों।हमजफर पर एनआईए की नजर काफी दिनों से थी। उसके काबुल में गिरफ्तारी और अब उसके स्वदेश आने के बाद माना जा रहा है कि जांच एजेंसियों को कुख्यात आतंकी संगठन आइएस की भारत में साजिशों के बारे में और पता चल सकेगा।

हमजफर को अब्दुल रशीद अबदुल्ला, अशफाक मजीद, फिरोज खान व बेस्टि विंसेट जैसे मित्र थे। ये सभी आईएस से प्रभावित थे और इनमें से अधिकांश या तो भारतीय एजेंसियों की गिरफ्त में है या फिर उनकी तलाश की जा रही है। हमजफर के खिलाफ एर्नाकुलम स्थित एनआईए के विशेष कोर्ट में मामला चल रहा है जहां उसकी पेशी होगी। इसी कोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वारंट जारी किया था।

उधर, मोदी और घनी के बीच हुई बैठक में द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन अफगानिस्तान में दायेश व तालिबान की बढ़ती ताकत का मुद्दा सबसे ऊपर रहा। घनी ने मोदी को बताया कि दायेश की ताकत वहां हाल के महीनों में बढ़ी है, लेकिन इसके पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है।

माना जाता है कि घनी का इशारा पाकिस्तान की तरफ था जो अफगानिस्तान में अस्थिरता को बढ़ावा दे रहा है। अफगानिस्तान के उच्चस्तरीय दल के लोगों ने भारतीय पक्ष को बताया है कि तालिबान या आइएस के बीच की लड़ाई भी पाकिस्तानी एजेंसियां करा रही हैं ताकि वहां की सरकार को कमजोर किया जा सके।

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