कमल नाथ की रणनीति से उपचुनाव में कांग्रेस के ही हाथ में रहा दमोह, भाजपा में उभरे विरोधी सुर
दमोह विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक रहे राहुल लोधी भले ही भाजपा के हो गए हों लेकिन उपचुनाव के परिणाम के बाद दमोह कांग्रेस का ही रहा। इस उपचुनाव को जीतने की रणनीति प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने ही तैयार की और इसका सफल क्रियान्वयन किया।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ की रणनीति से हाल ही में संपन्न हुए उपचुनाव में दमोह विधानसभा सीट कांग्रेस के पास ही रही। कमल नाथ का सबसे बड़ा दांव जनादेश के अपमान करने को लेकर था और वे मतदाताओं तक यह संदेश पहुंचाने में सफल रहे कि राहुल लोधी (हाल ही में हुए उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी, जो पहले कांग्रेस में थे) ने उनके पिछले फैसले को नजरअंदाज किया है। इस जीत से कांग्रेस को संजीवनी मिली है।
उधर, केंद्रीय मंत्री व दमोह से सांसद प्रह्लाद पटेल और मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भाजपा में षड्यंत्र व भितरघात की बात उठाई है। कांग्रेस से भाजपा में आए और भाजपा की टिकट पर उपचुनाव लड़े प्रत्याशी राहुल सिंह भाजपा के स्थानीय वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री जयंत मलैया और उनके परिवार पर पहले ही आरोप लगा चुके हैं।
दमोह विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक रहे राहुल लोधी भले ही भाजपा के हो गए हों, लेकिन उपचुनाव के परिणाम के बाद दमोह कांग्रेस का ही रहा। इस उपचुनाव को जीतने की रणनीति प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने ही तैयार की और इसका सफल क्रियान्वयन किया। अब उनकी तैयारी अगले विधानसभा चुनाव को लेकर है।
दरअसल, मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद दमोह उपचुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था इसलिए कमल नाथ ने चुनाव के सारे सूत्र अपने हाथ में रखे। प्रत्याशी चयन से लेकर बूथ स्तर की रणनीति को अपनी देखरेख में अंजाम दिया। भरोसे के विधायकों की तैनाती की। कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के साथ रोड शो भी किया।
उठने लगे विरोध के सुर
उपचुनाव के परिणाम के बाद भाजपा में विरोध के सुर भी उभरने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने षड्यंत्र की ओर इशारा किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि दमोह के परिणाम ने भविष्य की चुनौतियों, षड्यंत्रों और कार्यप्रणाली में सुधार के स्पष्ट संकेत दिए हैं। वहीं, गृहमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने भी कहा कि हम दमोह नहीं हारे बल्कि लड़ाई अपनों से हारे हैं, अपने जयचंदों से हारे हैं।