राज्य फिर कर सकेंगे ओबीसी जातियों की पहचान, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इससे जुड़े विधेयक को दी मंजूरी
ओबीसी जातियों की पहचान करने के राज्यों के अधिकार की बहाली का रास्ता फिलहाल साफ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इससे जुड़े विधेयक को मंजूरी दी गई।
नई दिल्ली, जेएनएन। ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) जातियों की पहचान करने और उसकी सूची बनाने के राज्यों के अधिकार की बहाली का रास्ता फिलहाल साफ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इससे जुड़े विधेयक को मंजूरी दी गई। सरकार ने इसे गुरुवार को ही संसद में पेश करने का संकेत दिया है। माना जा रहा है कि संसद में इसका कोई विरोध नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया था अवैध
केंद्र सरकार ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद उठाया है, जिसमें ओबीसी जातियों की पहचान और सूची बनाने के राज्यों के अधिकार को अवैध बताया था। कोर्ट का कहना था कि 102 वें संविधान संशोधन के बाद राज्यों को सामाजिक और आर्थिक आधार पर पिछड़ों की पहचान करने और अलग से सूची बनाने का कोई अधिकार नहीं है। सिर्फ केंद्र ही ऐसी सूची बना सकता है।
केंद्र और राज्य की अलग-अलग सूची
खासबात यह है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद देश भर में एक नया विवाद खड़ा हो गया था, क्योंकि मौजूदा समय में केंद्र और राज्य की ओबीसी की अलग-अलग सूची है। राज्यों की ओबीसी सूची में कई ऐसी जातियों को रखा गया है, जो केंद्रीय सूची में नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्रीय सूची में शामिल न होने वाली ओबीसी जातियां आरक्षण के लाभ से वंचित हो गई थीं। इसे लेकर राज्यों में काफी राजनीतिक गर्म है।
इसलिए चुना संसद का रास्ता
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की थी लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। इसके बाद सरकार से संसद के जरिए राज्यों के अधिकार को बहाल करने का रास्ता चुना है।विपक्ष ने इस मसले को लेकर केंद्र पर संघीय ढांचे पर आघात करने का आरोप लगाया है। बता दें कि सरकार ने पिछले महीने कहा था कि वह इस मसले पर कानूनी विशेषज्ञों और विधि मंत्रालय से रायशुमारी कर रही है।