नागरिकता कानून को नहीं रोक सकती राज्य सरकारें, हर हाल में करना ही होगा लागू

संसद में विधेयक पर जारी चर्चा के बीच ही पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से घोषणा की गई थी कि वह प्रदेश में इसे लागू नहीं होने देगी

By Manish PandeyEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 07:26 PM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 07:17 AM (IST)
नागरिकता कानून को नहीं रोक सकती राज्य सरकारें, हर हाल में करना ही होगा लागू
नागरिकता कानून को नहीं रोक सकती राज्य सरकारें, हर हाल में करना ही होगा लागू

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नागरिकता कानून का संसद में विरोध करने के बाद अब कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम की राज्य सरकारें अपने अपने राज्यों में इसे लागू करने से भले ही मना कर रही हो, लेकिन यह केवल राजनीतिक बयान भर है। सच्चाई यह है कि ऐसा कोई भी राज्य जिसे कानून में ही इससे छूट नहीं है वह इस कानून को लागू होने से नहीं रोक सकता है।

नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह केंद्र सरकार के अधीन है। राज्य सरकारों पर किसी भी नागरिक को उसकी पूरी सुविधा देने का कर्तव्य है और चुनाव आयोग जरूरी दस्तावेजों के आधार पर तय करता है कि उसे मतदाता बनाया जाए या नहीं।

कई राज्यों ने लागू करने से किया है इन्कार

बुधवार को संसद में विधेयक पर जारी चर्चा के बीच ही पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से घोषणा की गई थी कि वह प्रदेश में इसे लागू नहीं होने देगी। उस वक्त संसद के अंदर ही गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया था कि यह सभी राज्यों में लागू होगा। गुरुवार को केरल और पंजाब सरकार की ओर से भी ऐसी ही घोषणा की गई। हालांकि उन्हें इसका अधिकार ही नहीं है, बल्कि संविधान उन्हें बाध्य करता है कि संसद के कानून का पालन करे।

हर हाल में करना होगा लागू

संविधान विशेषज्ञ व वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस नरसिम्हा ने कहा- 'संविधान के अनुसार तो हर राज्यों को संसद के कानून का पालन करना ही होगा। नागरिकता देने का अधिकार केंद्र के अधीन है। कोई राज्य इसे रोक नहीं सकता है।' अगर केंद्र किसी को नागरिकता देता है तो उसे नागरिक अधिकारों से वंचित रखना भी राज्य सरकारों के बस की बात नहीं है क्योंकि संविधान की धारा के अधीन उसे उसे सारे अधिकार मिलेंगे वरना कोर्ट का दरवाजा खुला है। ऐसे में कांग्रेस और तृणमूल शासित राज्यों के बयान को राजनीतिक तौर पर ही लिया जा रहा है।

राज्य सरकारें नहीं कर सकती अवहेलना

ध्यान रहे कि राज्य सरकारों और खासकर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से केंद्र की कुछ योजनाओं को लागू किए जाने से मना कर दिया गया था, लेकिन कानून योजना से अलग है और राज्य सरकारें उसकी अवहेलना नहीं कर सकती है।

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