महाराष्ट्र में सरकार बनने की बिसात पर अगली चाल दिल्ली में केंद्रीय नेताओं के हाथों में
महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना सरकार बनने के मामले में गेंद अब केंद्रीय नेताओं के पाले में पहुंच गई है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना सरकार बनने के मामले में गेंद अब केंद्रीय नेताओं के पाले में पहुंच गई है। माना जा रहा है कि राकांपा अध्यक्ष शरद पवार सोमवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर सरकार बनाने के बारे में चर्चा करेंगे।
रविवार को पुणे में हुई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की कोर कमेटी की बैठक हुई। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राकांपा विधायक दल के नेता और प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल सहित कई महत्त्वपूर्ण नेताओं ने भाग लिया।
पार्टी प्रवक्ता नवाब मलिक के अनुसार बैठक में राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों पर विचार कर राष्ट्रपति शासन के बजाय एक चुनी हुई सरकार बनाने का निर्णय किया गया। चूंकि प्रदेश में राकांपा और कांग्रेस चुनावपूर्व गठबंधन करके चुनाव लड़े हैं। इसलिए पार्टी अध्यक्ष शरद पवार सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना नेताओं के बीच हुई अब तक की चर्चा की जानकारी देंगे और आगे की योजना पर विचार करेंगे। उसके बाद मंगलवार को कांग्रेस-राकांपा के नेता साथ बैठकर सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे।
महाराष्ट्र इस समय राष्ट्रपति शासन के दौर से गुजर रहा है। नौ नवंबर को पिछली विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने 105 सदस्यों वाले सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने के लिए 48 घंटे का समय दिया था। लेकिन भाजपा ने स्वयं राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने में असमर्थता जाहिर कर दी। उसके बाद शिवसेना को 24 घंटे का समय दिया गया।
शिवसेना प्रतिनिधि दी गई अवधि से 45 मिनट पहले ही इस उम्मीद में राजभवन पहुंच गए थे कि कांग्रेस-राकांपा का समर्थन पत्र उन्हें मिली अवधि समाप्त होने से पहले ही राजभवन में आ जाएगा। लेकिन यह पत्र न पहुंचने से निराश शिवसेना नेता खाली हाथ वापस आ गए। उसके बाद राकांपा को भी राज्यपाल ने 24 घंटे का समय दिया था। लेकिन राकांपा ने अगले दिन दोपहर में ही राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे अवधि बढ़ाने का आग्रह किया। जिसे सरकार बना पाने में राकांपा की असमर्थता मानते हुए राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी।
उसके बाद से शिवसेना की कांग्रेस और राकांपा नेताओं के साथ कई स्तरों पर बातचीत हो चुकी है। स्वयं शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे राकांपा अध्यक्ष शरद पवार एवं कांग्रेस नेता अहमद पटेल सहित प्रदेश स्तर के नेताओं से मिल चुके हैं। माना जा रहा है कि तीनों दलों को मिलाकर बनी महाशिवआघाड़ी के बीच न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चर्चा हो चुकी है।
शिवसेना पहले से ही मुख्यमंत्री पद के लिए आग्रह करती आ रही है। इसी मुद्दे पर भाजपा के साथ उसका गठबंधन टूट गया था। कांग्रेस और राकांपा प्रदेश स्तर के नेता शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद देने को राजी दिख रहे हैं। बदले में कांग्रेस और राकांपा को पूरे पांच वर्ष के लिए उपमुख्यमंत्री पद के साथ कई महत्त्वपूर्ण मंत्रालय मिल सकते हैं। लेकिन इन सभी बिंदुओं पर अंतिम निर्णय कांग्रेस-राकांपा के शीर्ष नेतृत्व को करना है। इसलिए सोमवार का दिन महाराष्ट्र में नई सरकार बनने की दृष्टि से निर्णायक माना जा रहा है।