भाई-भतीजावाद हावी होने से दूसरी लाइन के नेताओं को नहीं मिल रहा कांग्रेस में अवसर

मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेताओं में पुत्र मोह और भाई-भतीजावाद हावी होने से दूसरी लाइन के नेताओं के लिए अवसर पैदा नहीं हो पा रहे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 09:42 PM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 09:42 PM (IST)
भाई-भतीजावाद हावी होने से दूसरी लाइन के नेताओं को नहीं मिल रहा कांग्रेस में अवसर
भाई-भतीजावाद हावी होने से दूसरी लाइन के नेताओं को नहीं मिल रहा कांग्रेस में अवसर

भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेताओं में पुत्र मोह और भाई-भतीजावाद हावी होने से दूसरी लाइन के नेताओं के लिए अवसर पैदा नहीं हो पा रहे हैं। इससे पार्टी को नुकसान हो रहा है। आरोप तक यहां लगे हैं कि पुत्र मोह और भाई भतीजावाद के कारण 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी तो मंत्रिमंडल में सभी को कैबिनेट मंत्री बनाने का अनोखा प्रयोग किया गया। वहीं, पुत्र मोह में दो कांग्रेस नेताओं ने पार्टी से बगावत तक कर दी थी और दूसरे राजनीतिक दलों से कांग्रेस के खिलाफ अपने पुत्रों को चुनाव लड़वाया था। राजनीतिक विरासत वाले नेताओं की कांग्रेस में काफी बड़ी तादाद है।

कमल नाथ ने राजनीतिक विरासत के लिए पुत्र नकुल को आगे बढ़ाया

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ चार दशक से छिंदवाड़ा की राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन अब उन्होंने राजनीतिक विरासत के लिए पुत्र नकुल को आगे बढ़ा दिया है। जबकि वहां कांग्रेस के दूसरे लाइन के दीपक सक्सेना या विजय चौरे, अजय चौरे जैसे नेता भी हैं। इसके पूर्व उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन पर संकट के समय पत्नी अलका नाथ को टिकट दिलवाया था। उस समय भी परिवार ने क्षेत्र के दूसरे कांग्रेस नेताओं के बारे में नहीं सोचा।

दिग्विजय का नाम जुड़ने पर मिलता है फायदा

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बारे में कहा जाता है कि अपने पुत्र जयवर्धन सिंह को राजनीतिक वारिस बनाने के लिए जबरदस्त लॉन्चिंग की थी। वे जब दूसरी बार विधायक बने और कांग्रेस की सरकार बन गई तो पूरे मंत्रिमंडल को कैबिनेट मंत्री बनाने का प्रयोग कराया गया। इसके पूर्व दिग्विजय सिंह ने अपने भाई लक्ष्मण सिंह को लोकसभा में पहुंचाया, लेकिन वे जब भाजपा में चले गए तो दोनों भाइयों के संबंध में दरार आ गई। लक्ष्मण सिंह की कांग्रेस में वापसी के बाद संबंध वैसे सामान्य नहीं हो सके, लेकिन राजनीतिक लाभ दिए जाने में उनके नाम के साथ दिग्विजय सिंह की पहचान जुड़ने से दूसरे नेताओं से ज्यादा प्राथमिकता लक्ष्मण सिंह को ही मिलने लगी।

भतीजी के बाद बेटे को आगे बढ़ाया

कांग्रेस में आदिवासी नेताओं में बड़ा नाम कांतिलाल भूरिया का है, लेकिन उनके ऊपर भी परिवारवाद बढ़ाने की छाप लगी। पहले उन्होंने भतीजी कलावती भूरिया को आगे बढ़ाने के लिए पार्टी में पैरवी की और कुछ साल से वे अपने डॉक्टर बेटे विक्रांत भूरिया के लिए भी वही कर रहे हैं। जबकि क्षेत्र में जेवियर मेढ़ा जैसे जनाधार वाले नेता भी हैं।

पुत्र मोह में बगावत

कांग्रेस के जुझारू नेताओं में पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी और प्रेमचंद गुड्डू की गिनती होती रही है, लेकिन पुत्र मोह मे इन नेताओं ने पार्टी से ही बगावत कर दी। सत्यव्रत ने अपने बेटे नितिन को टिकट नहीं मिलने पर समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने के बाद उसके लिए प्रचार किया। प्रेमचंद गुड्डू ने भी वही किया। गुड्डू ने बेटे अजीत बौरासी के लिए विधानसभा टिकट नहीं मिलने पर भाजपा का दामन थाम और उसे टिकट दिला दिया। न नितिन जीते, न अजीत। अब सत्यव्रत ने राजनीतिक संन्यास ले लिया, लेकिन प्रेमचंद गुड्डू दोबारा पार्टी में वापसी के लिए ताल ठोंक रहे हैं।

भाई-भतीजा व पुत्र मोह वाले परिवार

कमल नाथ : पुत्र नकुल नाथ

दिग्विजय सिंह : पुत्र जयवर्धन सिंह, भाई लक्ष्मण सिंह

कांतिलाल भूरिया : पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया, भतीजी कलावती भूरिया

सत्यव्रत चतुर्वेदी : पुत्र नितिन चतुर्वेदी, भाई आलोक चतुर्वेदी

प्रेमचंद गुड्डू : पुत्र अजीत बौरासी।

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