सिद्धारमैया ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस- जेडीएस गठबंधन पर उठाए सवाल, कहा- नहीं तो कनार्टक में जीत सकते थे इतनी सीटें

सिद्धारमैया ने कहा कि मैं अकेला व्‍यक्ति था जिसने गठबंधन के खिलाफ आवाज उठाई थी। मेरे आवाज को पार्टी आलाकमान ने सुना नहीं था और मुझे समर्थन नहीं मिला।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 04:36 PM (IST) Updated:Thu, 09 Jul 2020 01:56 AM (IST)
सिद्धारमैया ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस- जेडीएस गठबंधन पर उठाए सवाल, कहा- नहीं तो कनार्टक में जीत सकते थे इतनी सीटें
सिद्धारमैया ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस- जेडीएस गठबंधन पर उठाए सवाल, कहा- नहीं तो कनार्टक में जीत सकते थे इतनी सीटें

बेंगलुरू, एएनआइ। कर्नाटक के पूर्व मुख्‍यमंत्री और वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेता सिद्धारमैया ने लोकसभा चुनावों के समय जेडीएस के साथ गठबंधन को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्‍होंने कहा कि मैं अकेला व्‍यक्ति था जिसने गठबंधन के खिलाफ आवाज उठाई थी। मेरे आवाज को पार्टी आलाकमान ने सुना नहीं था और मुझे समर्थन नहीं मिला। यदि हम अकेले लड़ते, लोकसभा चुनावों में हम 7 से अधिक सीटें जीत सकते थे। मैंने जेडीएस के साथ गठबंधन में नहीं लड़ने का सुझाव दिया था। उन्‍होंने कहा कि मैंने सुझाव दिया था कि हमें अकेले (लोकसभा चुनाव में) लड़ना चाहिए क्योंकि जेडीएस के वोट हमारे पास नहीं आएंगे और हमारे वोट जेडीएस को नहीं जाएंगे। 

I had suggested that we should fight alone (in Lok Sabha elections) because JD(S) votes wouldn't have come to us and our votes wouldn't have gone to JD(S): Siddaramaiah, Congress #Karnataka https://t.co/AiXBRuZaIp" rel="nofollow — ANI (@ANI) July 8, 2020

2019 के लोकसभा में कांग्रेस- जेडीएस गठबंधन का हो गया था सूपड़ा साफ 

गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कर्नाटक की 28 सीटों पर कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन कर चुनाव कर लड़ा था, इसके बावजूद यह गठबंधन सिर्फ दो सीटें जीत सका था।  जिसमें एक सीट बेंगलुरू ग्रामीण की कांग्रेस को मिली थी और एक सीट हासन की जेडीएस को मिली थी। बेंगलुरू ग्रामीण लोकसभा सीट पर डीके सुरेश जीते थे, वहीं हासन लोकसभा सीट पर प्रज्वल रेवन्ना जीते थे जो पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा की परंपरागत सीट है। इस समय कर्नाटक राज्‍य में कुमारस्‍वामी के नेतृत्‍व में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार थी। इसके बावजूद गठबंधन को भारी पराजय का सामना करना पड़ा। वहीं भाजपा और एक निर्दलीय ने इस चुनाव में 28 में से 26 सीटें जीती थी। दरअसल, नरेंद्र मोदी की बंपर लहर में लड़ा गया चुनाव था, जिसमें एनडीए ने 2014 से भी ज्‍यादा सीटें जीतीं थीं। कई राज्‍यों में कांग्रेस और सहयोगी दलों का सूपड़ा साफ हो गया था।   

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