Maharashtra Politics: शिवसेना का ही होगा मुख्यमंत्री कहते रह गए संजय राउत, फडणवीस बने CM

शनिवार यानी आज की सुबह महाराष्ट्र की राजनीति में ऐतिहासिक दिन साबित हुआ। कल तक जो शिवसेना राज्य में महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने का दावा पेश कर कर ही थी।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Sat, 23 Nov 2019 09:28 AM (IST) Updated:Sat, 23 Nov 2019 09:57 AM (IST)
Maharashtra Politics: शिवसेना का ही होगा मुख्यमंत्री कहते रह गए संजय राउत, फडणवीस बने CM
Maharashtra Politics: शिवसेना का ही होगा मुख्यमंत्री कहते रह गए संजय राउत, फडणवीस बने CM

नई दिल्ली, जेएनएन। शनिवार यानी आज की सुबह महाराष्ट्र की राजनीति में ऐतिहासिक दिन साबित हुआ। कल तक जो शिवसेना राज्य में महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने का दावा पेश कर कर ही थी, आज उसके सभी दावे धरे के धरे रह गए। ऐसा लगने लगा था कि शिवेसना, कांग्रेस और एनसीपी का गंठबंधन होगा और शनिवार को राज्य से राष्ट्रपति शासन हटने के बाद स्थायी सरकार मिल जाएगी, लेकिन जैसी ही सुबह राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ दिलाई तो पल भर के लिए सभी लोग अंचभित हो गए। दरअसल, शुक्रवार को राज्य में भाजपा की सरकार बनाने की कवायद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही थी। रात आठ बजे भी एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की बैठक होती रही।

लगभग तय माना जा रहा था कि राज्य में 50-50 का फॉर्मूला भाजपा और शिवसेना की नहीं बल्कि शिवसेना और एनसीपी के बीच होगा। जिस फॉर्मूले को राज्य में लागू करने के लिए शिवसेना ने भाजपा से अपना गठबंधन तोड़ा था वही फॉर्मूला वह अब एनसीपी के साथ पूरा करने वाला था।

लंबी बैठकों के बाद शिवेसना और एनसीपी हुए थे एकजुट

महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे। इसके बाद 24 अक्टूबर को इसके परिणाम आए। इस दौरान किसी भी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत ना होने के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। कुल 288 विधानसभा सीट वाले राज्य में भाजपा ने 105 सीटें हासिल की थी वही शिवसेना की तरफ से 56 सीट हासिल की थी। वहीं एनसीपी ने 54 तो कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में खेल यह तय माना जा रहा था कि अब राज्य में भाजपा और शिवसेना मिलकर सरकार बनाने वाले हैं। आसानी से राज्य में सरकार बनाने का सपना धरा का धरा रह गया और दोनों पार्टी की तरफ से राज्य में मुख्यमंत्री कौन होगा इसके लिए बहस छिड़ गई। शिवेसना चाहती थी की उनकी पार्टी की तरफ आदित्य ठाकरे को राज्य में मुख्यमंत्री बनाया जाए वहीं भाजपा देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी। फिर क्या था, छिड़ गई जंग दोनों पार्टी अपनी जिद पर अड़ी थी और और आखिरकार शिवसेना भाजपा से अलग हो गई। राज्य में आखिरकार राष्ट्पति शासन लागू करना पड़ा।

शिवेसना ने किया एनसीपी की तरफ किया रुख

शिवेसना ने राज्य में सरकार बनाने के लिए एनसीपी पार्टी के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। इस दौरान कई बैठकों को दौर चला। कई बार शरद पवार कांग्रेस अंतिरम अध्यक्ष सोनिया गांधी से गठबंधन करने के लिए मिले, लेकिन किस भी बैठक में दोनों पार्टियों का समर्थन शिवसेना को मिलता हुआ नहीं दिखाई दिया। महाराष्ट्र की राजनीति में यह ऐसा पहली बार हुआ था कि सियासी गुटबाजी सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल करने में असमर्थ थे।

शिव सेना मुखिया उद्धव ठाकरे ने राज्य की जनता से यही वादा किया कि राज्य में उनकी सरकार बनेगी। शिवेसना की तरफ से साफ कर दिया था कि महाराष्ट्र में सीएम शिवेसना से ही होगा। लंबी बैठकों के बाद आखिरकार शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने गंठबंधन किया और ऐलान कर दिया था कि शनिवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन हट जाएगा और हुआ भी एकदम यही, लेकिन सरकार भाजपा की बनी।

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